लगातार दो हफ्ते तक खांसी फेफड़े के कैंसर का संकेत भी हो सकती है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) की ओर से फेफड़े के कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि शीघ्र निदान से ही लोगों के जीवन को बचाया जा सकता है।जानिए…कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव को कैसे कम करेगा अदरक!
पीएचई की जूलिया वर्ने ने कहा कि सांस में समस्या और लगातार खांसी को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। अक्सर लोग इसे समान्य समस्या मानकर छोड़ देते हैं जिससे बाद में गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
यह नया अभियान खासतौर पर 50 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए है, क्योंकि इस उम्र के लोगों को फेफड़े के कैंसर, सीओपीडी और हृदय रोग का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
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इंग्लैंड में हर साल फेफड़े के कैंसर, हृदय रोग, फेफड़े की बीमारी से 150,000 से अधिक मौतें होती है। इंग्लैंड में लगभग 18 लाख लोगों कोरोनरी हृदय रोग से पीड़ित हैं। एक लाख लोग सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस) के साथ जी रहे हैं और 37,600 लोगों में हर साल फेफड़ों के कैंसर का पता चल रहा है। प्रो. क्रिस हैसीसन ने कहा, हमारे लिए यह अच्छी खबर है कि लोगों को फेफड़े का कैंसर जल्दी पता चल जा रहा है।
लोगों में इसके प्रति जितनी जागरूकता बढ़ेगी, उतना ही हम इन बीमारियों से लोगों को बचा पाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर सांस में लगातार समस्या हो रही है तो लोगों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और सारी परीक्षण कराने चाहिए।
ब्रिटिश लंग फाउंडेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव डॉ. पेनी वुड्स ने कहा, लंदन में फेफड़े की बीमारी से हर पांच मिनट में एक मौत हो रही है। इससे बचाव का एक ही तरीका है बीमारी का जल्दी पता चलना।