नई दिल्ली । इन्फोसिस के एमडी व सीईओ के पद से इस्तीफा देने वाले विशाल सिक्का ने कंपनी को छोड़ने को अपने जीवन के सबसे मुश्किल फैसलों में से एक बताया है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद इस निर्णय को लिया जाना था। पचास वर्षीय सिक्का ने कंपनी के संस्थापकों, खासतौर पर नारायणमूर्ति की लगातार खिंचाई से परेशान होकर 18 अगस्त को अचानक इस्तीफा दे दिया था। नारायणमूर्ति ही विशाल को साल 2014 में इन्फोसिस का एमडी व सीईओ बनाकर लाए थे।
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इन्फोसिस में नंदन नीलेकणि की वापसी की अटकलें एक दिन पहले से ही चल रही थीं, मगर कहा जा रहा था कि इस पर अगले हफ्ते ही कोई फैसला हो पाएगा। इसकी वजह यह बताई जा रही थी कि कंपनी के सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति की तबियत खराब है। वह बड़े ग्लोबल निवेशकों के साथ 29 अगस्त को बातचीत करेंगे। इसके बाद ही कंपनी के निदेशक बोर्ड को नए नेतृत्व की नियुक्ति के बारे में कोई संदेश दिया जाएगा। यह दीगर है कि गुरुवार को निदेशक बोर्ड की आनन-फानन बैठक हो गई और इसकी किसी को खबर नहीं लगी। बोर्ड के फैसले के बाद कंपनी की ओर से ही नीलेकणि की नियुक्ति का एलान देर शाम को सामने आया।
नंदन को चेयरमैन पद पर लाए जाने का सबसे पहले समर्थन निवेशक सलाहकार फर्म आइआइएएस ने बीते शुक्रवार को किया था। इन अटकलों को कंपनी के दो पूर्व सीएफओ वी बालाकृष्णन और टीवी मोहनदास पई के बयानों से हवा मिली। अलबत्ता बालाकृष्णन के बयान से ही बीते दिन ही यह संकेत मिल गया था कि नंदन की वापसी हो सकती है। गुरुवार को दिन में पई मीडिया को बता रहे थे कि इन्फोसिस के सभी सह-संस्थापक मिलकर नंदन की वापसी को लेकर कोई फैसला करेंगे। उन्होंने यह भी बताया था कि कंपनी के प्रमुख संस्थागत निवेशकों की नारायणमूर्ति के साथ चर्चा चल रही है। बड़े निवेशक चर्चा करके भविष्य में कंपनी के प्रबंधन को लेकर सुनिश्चित होना चाहते हैं। यह भी कहा गया कि मूर्ति की ग्लोबल निवेशकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये वार्ता 29 अगस्त को तय की गई है।
पूर्व सीएफओ ने उम्मीद जताई थी कि अगले कुछ दिनों में इन्फोसिस के चेयरमैन और को-चेयरमैन पद छोड़ देंगे। इसके बाद नए चेयरमैन और निदेशक बोर्ड को नियुक्त किया जाएगा। हालांकि अंदर की जानकारी रखने वालों ने पहले ही बता दिया था कि बोर्ड के ज्यादातर सदस्यों ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पुराने सदस्यों को हटाकर निदेशक बोर्ड का नए सिरे से गठन किया जाएगा।
बुधवार को ही आइसीआइसीआइ प्रू, फैंक्रलिन टेम्पलटन और एचडीएफसी एएमसी जैसे इन्फोसिस के बड़े संस्थागत निवेशकों ने कंपनी में नीलेकणि की वापसी के लिए दबाव बना दिया था। इस बीच कंपनी के पूर्व कर्मचारियों ने बोर्ड को एक कड़ा पत्र लिख डाला। इसमें उन्होंने सह-संस्थापक नारायणमूर्ति के प्रति निदेशक बोर्ड के सदस्यों के रवैये पर नाराजगी जताई। नीलेकणि ने कंपनी में वापसी के लिए कई शर्ते रखी हैं।