चीन के साथ जून से जारी डोकलम सीमा विवाद फिलहाल टल गया है लेकिन भविष्य में कोई गारंटी नहीं है कि यह ताकतवर पड़ोसी फिर से भारत को आंख नहीं दिखाएगा. जाहिर है कि इस पूरे विवाद के कारण चीन को लेकर आम भारतीय में उसके खिलाफ गुस्सा है और इसका असर चीनी उत्पादों की बिक्री में आई गिरावट से लगाया जा सकता है. कई राज्यों में चीनी उत्पादों के विरोध में राजनीति भी शुरू हो गई है.
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भारतीय टीम की जर्सी पर हैं चीनी कंपनियों के लोगो
जिस तरह का माहौल बना है, भारतीय क्रिकेट पर भी इसका असर पड़ सकता है. चीन को मोबाइल बनाने वाली कंपनी ओप्पो टीम इंडिया की स्पोंसर है और अन्य चीनी फोन निर्माता वीवो इंडियन प्रीमियर लीग का प्रायोजक है.
जिस समय भारत में चीन के उत्पादों के लेकर विरोध का माहौल बना है, विराट कोहली और उनकी टीम के सीने पर चाइनीज फोन कंपनियों के नाम चमक रहे हैं. जब चीन के साथ इतना बड़ा विवाद चल रहा हो और उसकी सबसे लोकप्रिय टीम अपने सीने पर चीनी उत्पादों का प्रचार कर रही हो तो थोड़ा अजीब लगता है.
2013 के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग स्कैंडल के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड की साख को काफी धक्का लगा है. उसकी साख पर हर दिन सवाल उठ रहे है और उसकी ईमानदारी पर कई सवालिया निशान है. चीन के साथ डोकलम विवाद बीसीसीआई के लिए एक बड़ा मौका हो सकता था.
कल्पना कीजिए कि अगर बीसीसीआई ओप्पो और वीवो के साथ देश के नाम पर अपने करार को तोड़ देता या धमकी ही देता तो आम आदमी में उसकी कैसी छवि बनती. वह भी ऐसे समय में जब देश में लगभग हर दूसरा आदमी मनोज कुमार बना घूम रहा है.
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सरकार ने भी नहीं उठाया कोई कदम
भारत सरकार भी चीन को कड़ा संदेश देने के लिए बीसीसीआई से यह दोनों करार खत्म करने को कह सकती थी. लेकिन यह मौका उसने भी खो दिया.
वीवो ने इसी साल जून में बीसीसीआई के साथ पांच साल के लिए 2199 करोड़ रुपये का करार किया है. यह करार पिछली डील से 554 फीसदी ज्यादा था.
इसी तरह से ओप्पो इस मार्च में भारतीय टीम का प्रायोजक बना है. पांच साल की स्पोंसरशिप के लिए उसे 1079.29 करोड़ रूपए बीसीसीआई को देने हैं.
बीसीसीआई के साथ इन दोनों करार का फायदा चीनी कंपनियों के मिला और उनके ब्रांडों ने बाजार में तहलका मचा दिया.
लेकिन खबर है कि डोकलम विवाद के बाद इस जुलाई और अगस्त में इन दोनों कंपनियों की सेल में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. यह गिरावट खासकर उत्तर भारत के शहरों में दर्ज की गई है.
इकॉनामिक्स टाइम के अनुसार चीन के खिलाफ बने माहौल के बाद कई लोकल पार्टनर ने यह फोन बेचने से अपने हाथ खींच लिए है और ओप्पो व वीवो के 400 से ज्यादा चीनी एक्सपर्ट घर लौट गए हैं.
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क्रिकेट टीम देश की या बीसीसीआई की
इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीसीसीआई की चीनी कंपनियों के साथ करार तोड़ने भर की धमकी भर से ही बहुत बड़ा संदेश जाता. यह काम सरकार भी कर सकती थी.
लेकिन लगता नहीं कि बीसीसीआई कभी ऐसा करने वाली है. क्योंकि ऐसी मांग जब भी उठेगी, उसके पास देने के लिए जवाब होगा.
लोकसभा की कार्यवाही में सवालों के जवाब में सरकार पिछले पांच साल में तीन बार सभा का सूचित कर चुकी है कि बीसीसीआई ने कभी मान्यता नहीं ली और उसका कोई जोर नहीं है. क्योंकि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल उसे भारत में खेल चलाने वाली संस्था मानता है, इसलिए उसे विदेश में जाकर खेलने और घर में टूर्नामेंट आयोजित करने की अनुमति दी जाती है.
साफ है कि इस पर विवाद है कि विराट कोहली की टीम देश की टीम है या नहीं. बेशक मैच से पहले वे राष्ट्रगान गाते हैं लेकिन संभावना कम है कि देश के लिए अगर बीसीसीआई को चीन के बहिष्कार के लिए कहा जाएगा तो वह देश का साथ होगा.