श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो वनडे में टीम इंडिया के लिए एक और तेज गेंदबाज डेब्यू करने जा रहा है। शार्दुल ठाकुर को टीम ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने भेजा इसका मतलब साफ है कि विराट ने कोलंबो की अंतिम एकादश में उन्हें जगह दे दी है। शार्दुल ने मैच की पूर्व संध्या को अपने करियर और खेल के बारे में प्रेस से बात की। बड़ी खबर: आज लंका पर जीत और इतिहास को यादगार बनाने के लिए मैदान में उतरेगी ‘टीम इंडिया’
ठाकुर 2016 से अनिल कुंबले के कोच रहते भारतीय दल का हिस्सा हैं, जब उन्होंने वेस्टइंडीज का दौरा किया था। वह तब से टीम इंडिया की जर्सी पहनने के मौके का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अबतक अंतिम एकादश में खेलने का मौका नहीं मिल पाया है।
इससे पहले भी ठाकुर को विभिन्न घरेलू टेस्ट सीरीज के लिए भी टीम में शामिल किया गया लेकिन अंतिम एकादश में जगह नहीं मिलने के बाद उन्हें घरेलू क्रिकेट खेलने भेज दिया गया। आईपीएल 10 में वो राइजिंग पुणे सुपरजायंट का हिस्सा थे। शार्दुल ने आईपीएल 2017 में 12 मैच में 28.63 की औसत और 8.25 की इकोनॉमी से 11 विकेट हासिल किए। श्रीलंका दौरे पर उमेश यादव औ मोहम्मद शमी को आराम दिए जाने के बाद उन्हें श्रीलंका दौरे के लिए वनडे और टी-20 टीम में जगह दी गई। इसके बाद सीरीज के चौथे वनडे में अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू करने के लिए शार्दुल तैयार हैं।
मुझे जब भी खेलने का मौका मिले मुझे हमेशा तैयार रहना चाहिए
उन्होंने आगे कहा, मुझे लगता है कि जब भी आप एक स्तर ऊपर बढ़ते -घरेलू से आप आईपीएल खेलते हो और आईपीएल से आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिये चुने जाते हो- हो तो आपके पास कौशल हमेशा होता है। लेकिन आपको मानसिक रूप से ज्यादा तैयार होना होता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का दबाव अलग होता है और घरेलू क्रिकेट का दबाव अलग होता है। यदि आप मुझसे व्यक्तिगत रूप से पूछें तो मुझे मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत और किसी भी परिस्थिति -चुनौती के लिए हमेशा तैयार रहना होता है।
क्रिकेट के अगल-अलग फॉर्मेट के साथ ताल मेल बैठाने के बारे में जब शार्दुल से पूछा गया तो उन्होंने कहा, यदि आपके पास स्किल्स हैं तो आप कोई भी फॉर्मेट खेल सकते हैं। आपको हर बार अलग तरह से तैयारी करनी होती है। हर फॉर्मेट में अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आपको फॉर्मेट के अनुसार गेंदबाजी करनी होती है।
ठाकुर से लाल और सफेद गेंद से गेंदबाजी करने के दौरान सामने आने वाली चुनौती और फर्क के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यदि आपने पर्याप्त अभ्यास किया है तो तालमेल बैठाने में आपको ज्यादा परेशानी नहीं होती है। आपने अभ्यास के दौरान जो किया है मैच में उसे दोहराना होता है। सफेद गेंद के साथ आप बहुत से वेरिएशन ट्राइ करते हैं। लेकिन लाल गेंद के साथ आपको एक प्लान के साथ लगातार कोशिश करनी होती है। लाल गेंद से बॉलिंग करना पेशेंश का काम है। दोनों गेंदों से गेंदबाजी करने में ये अंतर है।