सुप्रीम कोर्ट ने कानून का उल्लंघन करने वाली भारत में संचालित विदेशी एकाउंटिंग कंपनियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। केंद्र ने अदालत को बताया कि कंपनी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
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न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा, ‘कानून-व्यवस्था लागू करने की जरूरत है। आप (सरकार) देखें कि कहां इसका उल्लंघन हो रहा है और कार्रवाई करें। आप यदि कार्रवाई करते हैं तो हमें कुछ कहने की जरूरत ही नहीं रह जाएगी। हम हर अलग-अलग मामले को नहीं देख सकते। सरकार यदि ध्यान दे तो हमें नहीं लगता कि हमें कोई दिशा-निर्देश देने की जरूरत होगी।’
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश एक एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि विदेशी एकाउंटिंग कंपनियां यहां कानून का उल्लंघन कर प्रैक्टिस कर रही हैं। इस पर एक पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने आरंभिक आपत्ति दर्ज कराई।
रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता की दलील में कुछ भी ठोस तथ्य नहीं है और याचिकाकर्ता को प्राइवेट व्यक्तियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मेरी आपत्ति यह है कि संविधान का अनुच्छेद 32 शोषितों के लिए है न कि ऐसे मामले के लिए। ये सभी वैश्विक स्तर की प्रतिष्ठित कंपनियां हैं और उनके भी अपने अधिकार हैं।’
सीपीआईएल की ओर से पैरवी कर रहे प्रशांत भूषण ने दावा किया कि चार्टर्ड एकाउंटेंट इंस्टीट्यूट (आईसीएआई) ने 2011 में एक रिपोर्ट तैयार की थी और कहा था कि ये विदेशी कंपनियां कानून का उल्लंघन कर भारत में प्रैक्टिस कर रही हैं। ये तथाकथित बड़ी और शक्तिशाली कंपनियां हैं इसलिए ये अपने खिलाफ होने वाली कार्रवाई रोकने में सक्षम हैं।
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