एलडीए में आग लगना और अहम फाइलों का जलना…यह महज इत्तफाक नहीं हो सकता। ये फाइलें इसलिए भी अहम थीं क्योंकि ये फाइलें जेपीएनआईसी, हुसैनाबाद और जनेश्वर मिश्रा पार्क के कामों की हैं जिनपर सरकार ने खुद सवाल उठाए थे। कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन हों या फिर आवास राज्यमंत्री सुरेश पासी…।बड़ा खुलासा: आरूषि की नौकरानी ने बताई उस सुबह हुए घटना की पूरी कहानी..!
अप्रैल की ही बात है जब जांच के दौरान दोनों मंत्रियों ने निर्माण में गोलमाल के आरोप लगाए थे। उस जांच की फाइनल रिपोर्ट सार्वजनिक होने या दोषियों पर कार्रवाई का शिकंजा कसने से पहले फाइलों का आग की भेंट चढ़ना संदेह तो पैदा करेगा ही। अगर ऐसा है तो वे कौन लोग हैं जो सरकार की घोटालेबाजों पर शिकंजा कसने की मंशा को पलीता लगाने में जुटे हैं।
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के एक माह बाद ही सपा सरकार में बने जेपीएनआईसी की जांच की शुरू हो गई थी। जांच को लेकर सरकार इस कदर गंभीर थी कि मंत्री पांच दिन में दो बार जेपीएनआईसी पहुंचे और बिना लिफ्ट के ही 18 मंजिल तक चढ़ गए। निरीक्षण के दौरान आवास राज्य मंत्री सुरेश पासी ने तो इसे घोटाला बताया।
उन्होंने तब कहा था कि एलडीए ही नहीं शासन के आला अधिकारी और पिछली सरकार के लोग भी शामिल हैं। भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के लिए जेपीएनआईसी प्रोजेक्ट की लागत करीब 700 करोड़ बढ़ाई गई। विदेशों से महंगा सामान मंगाने पर भी उन्होंने सवाल उठाए। यह भी कहा था कि टेंडर प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया। इसी तरह हुसैनाबाद और जनेश्वर मिश्र पार्क में भी भ्रष्टाचार किया गया।
मंत्री ने कहा था-सीएम को गुमराह कर रहे एलडीए अधिकारी
आवास राज्य मंत्री सुरेश पासी ने कहा था कि मुख्यमंत्री के सामने प्रजेंटेशन में अधिकारियों ने बताया कि जेपीएनआईसी का काम 82 प्रतिशत पूरा हो गया, लेकिन वहां तो 50 प्रतिशत भी काम पूरा नहीं हुआ। अफसर गलत रिपोर्ट देकर सीएम को गुमराह कर रहे हैं। स्थिति यह है कि लाइटिंग, एसी, लिफ्ट और निर्माण कार्य तक अधूरा है, जबकि दावा 84 प्रतिशत काम किए जाने का है।
1.69 करोड़ का सोलर ट्री देख भड़के थे मंत्री
निरीक्षण के समय जेपीएनआईसी में लगा सोलर ट्री देखकर मंत्री ने उसकी कीमत पूछी थी। उन्हें बताया गया कि सोलर ट्री 1.69 करोड़ में इटली से मंगाया गया है। वहां लगा लगाए गए लाल पत्थर के बारे में बताया गया कि इन्हें वियतनाम से मंगाया गया है। यह जानने के बाद मंत्री ने कहा कि यह सब घोटाले के लिए ही हुआ है। यदि स्वदेशी चीजें लगाते तो यह काम लाखों में ही जो जाता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
सफाई के नाम पर पहले भी जलाई गईं फाइलें
रात के समय रिकॉर्ड रूम में आग लगने का तो यह पहला बड़ा मामला है, लेकिन एलडीए में पहले भी कार्यालय की सफाई के नाम पर भ्रष्टाचार से जुड़ी सैकड़ों फाइलों का जलाया जा चुका है, ताकि घोटालेबाजों की गर्दन बची रहे।
एलडीए के ही पुराने कर्मचारी नेता ने बताया कि करीब तीन साल पहले एलडीए के गोमती कार्यालय में सफाई के नाम पर सैकड़ों फाइलों को बेकार बता कर जला दिया गया था। इसी तरह करीब छह साल पहले एलडीए के पुराने लालबाग कार्यालय में भी फाइलों को रद्दी बताकर जला दिया गया था। लालबाग में ऐसा कई बार किया गया।
न्यायिक जांच की मांग
रिकॉर्ड रूम में लगी आग की न्यायिक जांच कराने की मांग एलडीए कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह ने की है। उनका कहना है कि विभागीय जांच से सच सामने नहीं आ पाएगा। इसकी न्यायिक जांच हो तभी सच सामने आएगा। रिकॉर्ड रूम में आग लगना कोई छोटी बात नहीं है।