खाड़ी देश ईरान और सऊदी अरब में इन दिनों टेंशन काफी बढ़ गई हैं। सऊदी अरब बार-बार ईरान पर हमला करने की धमकी दे रहा है। जहां सऊदी अरब में सुन्नी मुसलमानों का शासन है, वहीं ईरान में शिया मुसलमान हैं। दोनों ही देशों की एक-दूसरे से नहीं पटती है और फिलहाल वो झुकने को भी तैयार नहीं है।
1973 में कच्चा तेल हुआ था 55 डॉलर
1973 में अरब-इजराइल के बीच युद्ध हुआ था, जिसके बाद तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने कच्चे तेल के दाम बढ़ा दिए थे। उस समय क्रूड 25 डॉलर प्रति बैरल था, जोकि बढ़कर 55.51 डॉलर प्रति बैरल हो गया था। ओपेक देशों ने इजराइल समर्थक समझे जाने वाले देशों पर रोक लगा दी, जिनमें अमेरिका भी शामिल था।
दूसरा ओपेक देशों ने तेल का प्रोडक्शन काफी घटा दिया है, जिससे भारत को यूएस से तेल को इंपोर्ट करना पड़ रहा है। इससे कच्चा तेल 65 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। सऊदी अरब और ईरान के बीच युद्ध होता है तो इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड (कच्चे तेल) के दाम में 500 फीसदी तक का उछाल आ सकता है। अगर इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड के दाम 200 डॉलर प्रति बैरल हो जाते हैं तो भारत में पेट्रोल का भाव 250 रुपए प्रति लीटर हो सकता है।
तीसरा कारण है कि डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है। इसके भी 70 रुपये के पार पहुंचने की आशंका है।
80 रुपये के करीब है पेट्रोल की कीमत
फिलहाल देश में पेट्रोल 80 रुपये तो डीजल 70 रुपये के करीब चल रहा है। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों की वजह से देश में काफी हंगामा अभी से हो रहा है। सरकार ने वैट भी घटाया लेकिन फिलहाल इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है।