सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराने के बाद सरकार ने इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में लाने के लिए बिल पेश करने का मन बनाया है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय समिति ने इस बिल को तैयार किया है। लोकसभा में इसे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पेश करेंगे। हालांकि सरकारी सूत्रों ने बिल को पेश करने के बाद संसदीय समिति को भेजे जाने की संभावना से इनकार नहीं किया है।
खास बात यह है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कुछ दिन पहले इस बिल के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। शुरू में टीएमसी ने इसका विरोध किया था। बाद में इस मुहिम में कांग्रेस, एनसीपी, वाम दल, एआईएमआईएम जैसे कई दल शामिल हो गए। विपक्षी दलों ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सुर में सुर मिलाते हुए इसे महिला विरोधी करार दिया है।
बिल की खास बातें
– तीन तलाक दंडनीय अपराध, तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान
– मौखिक, पत्र, फोन, व्हाट्सऐप, मेल या किसी अन्य माध्यम से एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और अमान्य
– पीड़िता को उचित गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत जाने का हक
– महिला को खुद और अपने नाबालिग बच्चों का संरक्षण मांगने का हक
– सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सामने आने वाले 177 मामलों में सर्वाधिक 66 मामले यूपी से