आज के मशीनीकरण के दौर में लोगों ने शारीरिक श्रम करना कम कर दिया है। लोगों की मशीनों पर निर्भरता इस कदर बढ़ गई है कि अब शारीरिक श्रम के अभावों की वजह से कई तरह की बीमारियों ने लोगों को अपनी जद में लेना शुरु कर दिया है। हार्ट अटैक निस्संदेह पुरानी बीमारी है लेकिन गुजरते वक्त के साथ-साथ इसके मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। डॉक्टरी भाषा में हर्ट अटैक को कार्डिवस्कुलर डिसीज कहा जाता है। भारत सहित दुनिया के कई देशों में हर्ट अटैक अचानक मौत का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है।
अनियमित दिनचर्या, शारीरिक श्रम में आ रही निरंतर कमी और संतुलित आहारों का असेवन दिल की इस बीमारी को फैलाने में काफी मददगार साबित हो रहे हैं। पहले इस रोग के होने की एक निश्चित आयु सीमा थी। 40 वर्ष की आयु वाले लोग ही हर्ट अटैक की चपेट में आ सकते थे, लेकिन अब 20-25 साल के युवाओं में भी हर्ट अटैक के कई मामले देखे गए हैं। इस रोग से बचाव के लिए हर उम्र के लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बहुत जरुरी है। अपनी जीवनशैली में बदलाव कर हर्ट अटैक की संभावनाओं पर विराम लगाया जा सकता है। खून का थक्का जमना, दिल की धड़कन का बहुत तेजी से चलना, हाई ब्लड प्रेशर का होना और धमनियों में ऐंठन की वजह से दिल का यह खतरनाक रोग अस्तित्व में आता है।
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जरा सी सावधानियां इस भयंकर रोग से बचने में आपकी सहायता कर सकती हैं। प्रतिदिन व्यायाम करने से आपका कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है जो कि हर्ट अटैक का एक महत्वपूर्ण कारक है। कोलेस्ट्रॉल की समय समय पर चिकित्सकीय जांच करवाना भी जरुरी होता है। संतुलित आहार दिल के रोगों से बचाव की अनिवार्य शर्तों में शामिल है। दिल की अच्छी सेहत के लिए जरुरी है कि आपकी थाली में अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां जरुर हों। स्मोकिंग और किसी भी प्रकार का टेंशन अथवा डिप्रेशन दिल के लिए घातक हो सकता है, इसलिए जहां तक हो सके कम से कम स्मोक करें या न ही करें और तनावमुक्त रहने की कोशिश करें। एल्कोहल आपके दिल को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। इस तरह के छोटे-मोटे सुझाव अपनाकर हर्ट अटैक के कारणों पर अटैक किया जा सकता है, जिससे कि यह जानलेवा बीमारी आपसे दूर ही रहे।