पंजाब में आम आदमी पार्टी विधायक दल का नेता और पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष बनने के बाद सुखपाल सिंह खैहरा मीडिया से रूबरू हुए तो पूरी टीम के तेवर बदले हुए थे। पार्टी के पंजाब प्रधान भगंवत मान आैर खैहरा ने साफ संकेत दिए की पंजाब आप में अब पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की नहीं चलेगी। दोनों नेताओं ने स्पष्ट कहा कि अब पंजाब में पार्टी के फैसले व नीतियां राज्य के नेता ही तय करेंगे। यह साफ संकेत था कि अब पंजाब में केजरीवाल की लंबे समय तक नहीं चलेगी।अब इराक-अफगानिस्तान के बाद भारत तीसरा आतंक से प्रभावित देश
भगवंत मान व सुखपाल खैहरा ने कहा, पंजाब के फैसले पंजाब के नेता खुद करेंगे
अपने आक्रामक रवैये से अलग शैली में नजर आए दोनों ही नेता मीडिया के सामने यही जताते रहे कि अब पार्टी में कोई फूट नहीं है। सभी एकजुट हैं। अलबत्ता मान के इस बारे में पहल करने के बाद खैहरा ने भी मान व अमन अरोड़ा को झप्पी डालते हुए फोटो खिंचवाई। खैहरा ने कहा कि अब यह टीम कांग्रेस सरकार को पंजाब को लुटने नहीं देगी। हर मोर्चे पर लोगों के हितों में सरकार का विरोध किया जाएगा।
भगवंत मान ने कई बार इस बात को दोहराया कि सारा मीडिया देख ले, अब कहीं पर फूट नहीं है। तीन माह पहले पहले जब फूलका को नेता विपक्ष की जिम्मेवारी सौंपी गई थी, तो वह भी मीडिया के सामने यही बात बार-बार दोहराते रहे थे। लेकिन, आज फूलका ने खुद मौके से गायब होकर इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वह पार्टी के फैसलों से सहमत नहीं हैं।
मंच पर फर्राटेदार भाषण देने वाले मान ने आज अपने स्टाइल से अलग रुक-रुक कर संबोधन कर यह संकेत भी दिए कि सब कुछ ठीक नहीं है। खैहरा ने मीडिया के सामने मान को छोटा भाई संबोधित किया और मान तिरछी नजरों से खैहरा को देखकर मुस्कुराए और फिर मुद्दा बदलकर कहा कि हम सब एक हैं।
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शनिवार की प्रेस कांफ्रेंस को लेकर सबसे पहले खैहरा की तरफ से संदेश भेजा गया था, उसके दो घंटे बाद पार्टी की तरफ से भी मीडिया को संदेश भेजे जाने के चलते यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि खैहरा ने पहले ही दिन से पार्टी को अपने कब्जे में लेने की कवायद शुरू कर दी है। फिलहाल कांटों भरे ताज के साथ पार्टी की सियासत और रूठों को मनाने के साथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने को लेकर खैहरा की राह आसान नहीं होगी।
फूलका को पद छोड़ने के लिए मैंने कहा था: खैहरा
खैहरा ने कहा कि उन्होंने खुद एचएस फूलका को नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने को कहा था। खैहरा ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि फूलका ने 20 सालों से ज्यादा समय तक एक ही एजेंडे पर रहकर सिख दंगा पीडि़तों के हितों की लड़ाई लड़ी है। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद फूलका धर्मसंकट में थे कि वह कैसे इस लड़ाई को आगे जारी रखें। उन्होंने कहा कि एक बार फूलका को उन्होंने इस मुद्दे पर खुद यह राय दी थी कि वह नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़कर दंगा पीडि़तों के केस लड़ें व उनकी कानून मदद करें। उसके बाद फूलका ने यह फैसला लिया था।
बैंस ब्रदर्स व खैहरा की जुगलबंदी से पड़ेगी दरार
प्रेस कांफ्रेंस में आम आदमी पार्टी के विधायकों के साथ-साथ लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस व बलविंदर सिंह बैंस ने भी शिरकत की। बैंस ब्रदर्स ने खैहरा को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल से सिफारिश भी की थी। उन्होंने इस बात को दोहराया कि वह खुद भी चाहते थे कि खैहरा नेता प्रतिपक्ष बनें। दोनों नेताओं की आक्रामक शैली ने उन्हें एक दूसरे के करीब लाकर खड़ा किया है।
बीते विधानसभा सत्र में भी खैहरा व बैंस को निलंबित किया गया था, तो दोनों ने एक साथ धरना दिया था। दोनों की जुगलबंदी शनिवार को भी दिखाई दी। पार्टी के अन्य विधायक इसे लंबे समय तक पसंद करने वाले नहीं हैं। नतीजतन इस जुगलबंदी के चलते भविष्य में पार्टी में दरार पडऩी तय है। इसके संकेत भी शनिवार को मिल गए।