भारत की गोल्फर अदिति अशोक टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने से चूक गई हैं। बता दें कि पिछले तीन राउंड से नंबर दो पोजीशन पर बनी हुई अदिति ने अंतिम और फाइनल राउंड में महज एक अंक के कम स्कोर से भारत को इस खेल में गोल्फ का पहला मेडल दिलाने में असफल साबित हो गई हैं।
लेकिन इसके बावजूद भी अदिति के इस बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उनकी हर तरफ तारीफ हो रही है। बता दें कि अदिति अभी महज 23 साल की ही हैं और दूसरी बार ओलंपिक का हिस्सा बनी हैं। उनकी इस सफलता के पीछे उनकी माँ का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है और वो इस खेल के दौरान कदम-कदम पर उनके साथ ही थीं।
माँ ने किया एक-एक शॉट के लिए गाइड
बता दें कि ओलंपिक में अदिति के कदम से कदम मिलाकर उनकी मां उन्हें पूरे टाइम गाइड करती रहीं। अदिति की माँ माहेश्वरी उनकी कैडी की भूमिका निभा रही थीं। हर शॉट को कैसे खेलना है, ये सारी जानकारी उनकी माँ समय-समय पर उन्हें दे रही थीं।
महत्वपूर्ण होता है कैडी का रोल
बता दें कि इस खेल में कैडी का भी काफी महत्वपूर्ण रोल होता है। दरअसल कैडी वो होता है जो गोल्फर के साथ हर समय गोल्फ स्टिक का बैग लेकर साथ चलता है। अदिति के साथ उनकी माँ कदम से कदम मिलाकर चल रही थीं और उनकी प्रेरणा बनने का काम कर रही थीं। शायद यही वो वजह थी जिस कारण अदिति ने भारत की तरफ से ओलंपिक में इन खेलों का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है। बता दें कि अदिति के लिए कैडी की भूमिका हमेशा उनके पापा ही निभाते हैं पर अबकी ओलंपिक के लिए अदिति ने अपनी माँ का साथ चुनने का फैसला किया था। वहीं 2016 के रियो ओलंपिक में कैडी की भूमिका उनके पिता ने निभाई थी।
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भारत की पहली स्टार महिला गोल्फर
ऐसा पहला मौका नहीं है जब अदिति ने इस तरह की बेहतरीन परफॉर्मेंस दी हो। बता दें कि अदिति रुकी प्लेयर जीतने वाली पहली भारतीय महिला गोल्फर हैं। इसके अलावा उन्होंने 18 मेजर टूर्नामेंट भी जीते हैं। साथ ही वो भारत की पहली LPGA प्लयेर बनने वाली खिलाड़ी भी हैं। बता दें कि रियो में भी पहले दो राउंड में उन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और 7वें व 8वें स्थान पर रही थीं।
ऋषभ वर्मा