नवजात बच्चों की सेहत के लिए मां का दूध अमृत माना गया है। शुरुआत के कुछ दिनों तक नवजात शिशु को केवल मां के दूध का ही सेवन कराने की सलाह दी जाती है। यह उन्हें पोषण देने के साथ-साथ कई तरह के रोगों से बचने में भी मदद करता है। हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि मां के दूध में पाए जाने वाले कुछ सुरक्षात्मक शर्करा की वजह से यह नवजात शिशुओं को तमाम तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन्स से लड़ने में मदद देता है। प्रेग्नेंट महिलाओं में पाए जाने वाले ग्रुप बी स्ट्रेप बैक्टीरिया नवजातों में कई तरह के संक्रमण के कारक होते हैं। इनकी वजह से निमोनिया जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। अधिकतर केस में नवजात के मौत तक की घटना देखी गई है।
शोध के मुताबिक शुगर एक एंटी-बायोफिल्म एजेंट के रूप में काम करता है। मानव दुग्ध में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट के इस तरह के व्यवहार का यह पहला उदाहरण है। आज से लगभग दस साल पहले शोधकर्ताओं ने एक शोध में यह पता लगया था कि गर्भवती महिलाओं में पैदा होने वाले ग्रुप बी स्ट्रेप बैक्टीरिया के रोगाणु स्तनपान के जरिए नवजात शिशु के शरीर में प्रवेश करते हैं। लेकिन जब इस बैक्टीरिया के संक्रमण से प्रभावित बच्चों का परीक्षण किया गया तो अधिकांश में इसका संक्रमण मिला ही नहीं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मां के दूध में कोई ऐसा तत्व विद्यमान है जो इस बैक्टीरिया से लड़ता है।
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शोध में मां के दूध के एक दर्जन सैंपल्स का अध्ययन कर यह पता लगाने की कोशिश की गई कि इसमें पाया जाने वाला शुगर बैक्टीरिया से लड़ पाने में सक्षम है या नहीं। शोध के बाद उन सैंपल्स में से दो ऐसे थे जो बैक्टीरिया और बायोफिल्म्स दोनों के खिलाफ सक्रिय थे। इसके अलावा दो ऐसे भी थे जिन्होंने केवल बैक्टीरिया के खिलाफ सक्रियता दिखाई और चार ने बायोफिल्म्स से लड़ने में मदद की जबकि 6 सैंपल्स अपेक्षाकृत निष्क्रिय ही रहे। शोध के निकाले गए निष्कर्ष में यह बताया गया कि मां के दूध में पाया जाने वाला शुगर इन बैक्टीरिया को पहले सेंसिटाइज बनाता है फिर उन्हें खत्म कर देता है। इसलिए मां का दूध बच्चों के लिए एंटी बैक्टीरियल ट्रीटमेंट की तरह काम करता है। इसके अलावा यह वयस्कों के लिए भी एंटीबायोटिक के रूप में मदद कर सकता है।