ओलंपिक में हारी जरूर पर उनके योगदान को याद करेंगी पीढ़ियां

टोक्यो ओलंपिक इन दिनों कई वजहों से भारत में चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है। दरअसल टोक्यो ओलंपिक में बीते शनिवार को भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में सिल्वर मेडल हासिल किया है। खास बात ये है कि उन्होंने 200 किलो से भी अधिक का वजन उठाया था और तब जीत अपने नाम की थी। वहीं भवानी देवी का नाम भी काफी सुर्खियों में हैं जो ओलंपिक में तलवार बाजी के मुकाबले में वर्ल्ड चैंपियन से हार गईं। हालांकि इसके बावजूद उनका नाम काफी ट्रेंड कर रहा है। तो चलिए जानते हैं इसके पीछे आखिर क्या वजह है।

ओलंपिक में कुछ ऐसा रहा सफर

भवानी देवी का टोक्यो ओलंपिक का सफर हार की कगार पर खत्म हुआ पर उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं क्योंकि देश के कई युवा उनसे और उनकी मेहनत से इंफ्लूएंस हो रहे हैं। बता दें कि भवानी देवी ने ट्यूनीशिया की बेन अजीजी नादिया को 6 मिनट के अंदर ही पहले राउंड में हरा दिया था । उन्होंने अजीजी को 15-3 से हराकर दूसरे राउंड तक का सफर तय किया। मालूम हो कि भवानी की वर्ल्ड रैंकिंग 42 है। वहीं बात करें उनकी अपोनेंट अजीजी की वर्ल्ड रैंकिंग की तो वे दुनिया में 384 वें स्थान पर हैं। बता दें कि भवानी ने उन्हें हराने के लिए लगातार 8 अंक अपने नाम कर लिए थे और अजीजी को एक भी अंक लेने नहीं दिया था। लेकिन दूसरे राउंड में उन्हें वर्ल्ड चैंपियन खिलाड़ी के हाथो 15-7 से हारकर ओलंपिक से बाहर हो गई है।

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ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी

बता दे ओलंपिक में तलवार बाजी का इवेंट काफी सालो से चला आ रहा हैं। इस प्रतियोगिता में फ्रांस और जर्मनी का दबदबा माना जाता है। भारत में तलवार बाजी का कल्चर काफी सालो से रहा है।  देश के इतिहास में झाकेंगे तो रानी लक्ष्मीबाई और टीपू सुल्तान जैसे कई वीर योद्धा हुए जिनकी तलवारें आग उगला करती थीं पर इस देश में तलवार बाजी एक खेल के रूप में शायद ही कोई जनता हो। ऐसे खेल को इस देश में पहचान देने का काम भवानी देवी ने किया है। भवानी देवी इस इवेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली एक लौती एथलीट भी हैं।  उनका ओलंपिक में सफर जरूर खत्म हो गया हो पर देश में तलवार बाजी के कल्चर को बढ़ाने में उनका योगदान इतिहास में हमेशा के लिया याद रखा जायेगा।

ऋषभ वर्मा

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