Big News: मदरसों पर वक्फबोर्ड के अध्यक्ष ने यह क्या कह दिया, जानिए आपभी!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री को पत्र भेज कर हलचल मचा दी है। वसीम रिजीव ने देश भर के मदरसों को समाप्त कर सामान्य शिक्षा नीति बनाने की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र भेज कर मदरसा बोर्ड से पंजीकृत अधिकतर मदरसों को फर्जी बताते हुए बोर्ड को खत्म कर इन मदरसों को स्कूलों मे हस्तांतरित करने की मांग उठाई है। उनका दावा है कि मदरसों में पढऩे वाले बच्चे आतंक के रास्ते पर जा रहे हैं।

वसीम रिजवी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अवगत कराया है कि मदरसों का प्राथमिक कार्य गहराई से धार्मिक शिक्षा प्रदान करना है लेकिन आज ये बच्चों को मुख्य धारा की शिक्षा से वंचित करने के लिए जिम्मेदार बन गए हैं। मदरसे की शिक्षा देकर बच्चों को सामान्य शिक्षा से दूर किया जा रहा है। यहां पढऩे वाले बच्चों की शिक्षा का स्तर इतना नीचे है कि वे सर्व शिक्षा से दूर होकर आतंक के रास्ते पर जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि भारत के मुस्लिमों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति निराशाजनक है। मुसलमानों का पिछड़ापन देश के विकास में बड़ी बाधा है। उन्होंने पीएम से मदरसों को बंद कर सामान्य शिक्षा नीति बनाने की मांग की। अपनी मांग को पुख्ता करने के लिए पत्र में 27 बिन्दुओं पर खामियां गिनाई हैं।

उन्होंने गैर सरकारी संस्थाओं के हवाले से लिखा कि देश में 50 हजार से एक लाख के करीब मदरसे संचालित हैं लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी है। अधिकतर मदरसों में प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं। शिक्षक और छात्र अनुपात में व्यापक अंतर है। शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र भेज कर मदरसा बोर्ड को समाप्त कर बोर्ड से पंजीकृत मदरसों को सामान्य शिक्षा के उद्देश्य से स्कूलों में हस्तांतरित करने की मांग की है।

उन्होंने बोर्ड के 16 हजार पंजीकृत मदरसों में अधिकतर को फर्जी बताते हुए मानक के विपरीत बताया। कहा कि इनमें 2500 मदरसे ऐसे हैं जो गैर मान्यता प्राप्त हैं। उनका दावा है कि मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा मानक के अनुरूप नहीं है। उनका पाठ्यक्रम अप्रचलित हो गया है। अध्यक्ष ने पीएम व सीएम का इस ओर ध्यान दिलाया कि सरकारें मदरसों की कार्यशैली को लेकर संदिग्ध रही हैं।

अधिकतर मदरसे जकात यानी दान के पैसों से चल रहे हैं। उनका आरोप है कि यह पैसा बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों से भी आता है। यहां तक कि कुछ आतंकी संगठन भी इनकी मदद कर रहे हैं। उन्होंने मदरसों के पंजीकरण के तय मानकों को भी जर्जर बताया। बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के मदरसों को समाप्त कर इन्हें स्कूल की श्रेणी में बदला जाए। सभी को उत्तर प्रदेश बोर्ड, सीबीएससी या आईसीएससी बोर्ड से पंजीकृत कर सामान्य शिक्षा नीति बनाई जाए ताकि मुस्लिम बच्चों की मानसिकता कट्टरपंथी न बने।

शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी की ओर से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मदरसों को खत्म कर सामान्य शिक्षा नीति बनाने की मांग करने और मदरसों में बच्चों को कट्टरपंथी बनाने के आरोप को उलमा ने बेबुनियाद बताया।

उनका आरोप है कि रिजवी खुद भ्रष्टाचार की जांच से बचने के लिए फिजूल बयानबाजी कर रहे हैं। उलमा ने साफ कहा कि उन्हें मदरसों पर नहीं बल्कि वक्फ संपत्तियों की हिफाजत पर ध्यान देना चाहिए। ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने जवाब देते हुए कहा है कि वसीम रिजवी के सभी आरोप बेबुनियाद हैं।

उनको मालूम होना चािहए कि देश की आजादी में मदरसों का अहम योगदान रहा है। मदरसे ने ही देश को मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसा पहला शिक्षा मंत्री दिया। यही नहीं मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम की शुरुआती शिक्षा भी मदरसे में ही हुई थी। मदरसों के छात्र प्लेसमेंट सौ फीसदी है।

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