भाजपा में कई नए चेहरे जल्द ही संगठन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते दिखेंगे। प्रदेश के कुछ नेताओं को दिल्ली में संगठनात्मक जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। कुछ को पार्टी से संबद्ध दूसरे संगठनों का नेतृत्व सौंपकर उनका कद और पद बढ़ाया जा सकता है। मगर, यह अवसर भगवा टोली के रणनीतिकारों के लिए कठिन परीक्षा भी लेकर आया है। इनके लिए मजबूत और अपनी पहचान रखने वाले प्रभावी नेताओं का संगठन बनाना बहुत आसान नहीं दिख रहा।Breaking: गल्र्स कालेज का टीचर कर रहा था छात्राओं के साथ छेडख़ानी
दरअसल, प्रदेश और राष्ट्रीय संगठन में लंबे समय से जिम्मेदारी संभालने वाले कई नेता केंद्र और प्रदेश सरकार में शामिल हो चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश संगठन को मिलाकर लगभग तीन दर्जन से ज्यादा छोटे- बड़े नेता और पदाधिकारी मंत्री बन गए हैं।
कुछ वरिष्ठ नेता जिनका संगठन को बाहर से मार्गदर्शन मिलता था वे भी दूसरी भूमिका में पहुंच गए हैं। ऐसे में भाजपा को आगे की चुनौतियों से निपटने के लिए नए लोगों को संगठन में लाकर उन्हें सक्रिय करना जरूरी हो गया है।
इसलिए यह काम है कठिन
यह काम जितना आसान दिख रहा है उतना है नहीं। वजह, पिछले लगभग 15 वर्षों में संगठनात्मक जिम्मेदारी निभाने वाले ज्यादातर चेहरे सरकार में अथवा राष्ट्रपति, राज्यपाल जैसे अन्य संवैधानिक पदों पर बैठ चुके हैं। ऐसे में रणनीतिकारों को नए चेहरे लाकर न सिर्फ भरपाई करनी है बल्कि भविष्य में नेतृत्व संभालने के लिए भी तैयार करना है। स्वाभाविक रूप से इसके लिए महत्वपूर्ण चेहरों की तलाश जितना आसान दिख रही है, वास्तव में उतनी है नहीं।
राष्ट्रीय टीम के कई नेता सरकार में
इनमें उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश शर्मा, राष्ट्रीय मंत्री श्रीकांत शर्मा, डॉ. महेन्द्र सिंह, सिद्धार्थनाथ सिंह और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दारा सिंह चौहान योगी सरकार में मंत्री बन चुके हैं। जाहिर है, इनकी जगह पार्टी को नए पदाधिकारी बनाने होंगे।
केंद्र व राज्य दोनों जगह पार्टी के सत्ता में होने और महत्वपूर्ण लोगों के सरकार में अहम भूमिका निभाने के नाते भले ही राष्ट्रीय टीम में पहले जितने पदाधिकारी न बनें तो भी यूपी से कुछ लोगों को इनके स्थान पर जगह अवश्य मिलेगी।
भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों में कुछ को पदोन्नति देकर राष्ट्रीय टीम में शामिल किया जा सकता है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, प्रदेश महामंत्री विद्यासागर सोनकर जैसे लोगों को भी जगह दी जा सकती है। मंत्री न बन पाने वाले कुछ विधायकों और सांसदों को भी समायोजित किया जा सकता है।
प्रदेश पदाधिकारियों में दो उपाध्यक्ष शिवप्रताप शुक्ल और डॉ. सत्यपाल सिंह मोदी कैबिनेट में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा तीन प्रदेश उपाध्यक्ष, दो प्रदेश महामंत्री, प्रदेश कोषाध्यक्ष, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी योगी सरकार में मंत्री हैं।
प्रदेश मंत्रियों में एक औरैया की जिलाध्यक्ष जबकि एक राष्ट्रीय सफाई आयोग की सदस्य नियुक्त हो चुकी हैं। इसके अलावा कुछ क्षेत्रीय पदाधिकारी भी सरकार में मंत्री पद संभाल रहे हैं। कुछ अन्य पदाधिकारियों को जल्द ही सरकार के कुछ आयोगों और बोर्डों में समायोजित करने के संकेत हैं।
उधर, संगठन के सामने निकाय चुनाव की चुनौती खड़ी है। अगले लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी संगठन को तैयार करना है। इसलिए रिक्त हुए जगहों पर नए लोगों को बैठाना होगा।