विधानसभा चुनाव के बाद अब सियासी बिसात पर अगली जंग राष्ट्रपति चुनाव की है. एनडीए खेमे को यकीन है कि उसके पास चुनाव में भारी जीत के लिए अंकगणित मौजूद है.  यह भी पढ़े: अभी अभी: पीएम मोदी चार देशों के लिए हुए रवाना, भारत में आर्थिक सुधारों के लिए देंगे न्यौता
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बहुमत का दावा 
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने बीजेपी सूत्र के हवाले से लिखा है कि एनडीए को इस चुनाव में 54 फीसदी वोट हासिल करने का भरोसा है. बीजेपी को यकीन है कि तेलंगाना में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और तमिलनाडु में एआईएडीएमके के वोट उसके उम्मीदवार के हक में पड़ेंगे. हालिया चुनावों में जीत के बाद अब बीजेपी नेतृत्व चाहता है कि राष्ट्रपति चुनाव में जीत के साथ देश की सियासत में एक बार फिर अपने वर्चस्व की मुहर लगाए.
विपक्षी मीटिंग से एनडीए को फायदा?
एक बीजेपी नेता ने ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ को बताया, ‘डीएमके के कांग्रेस को समर्थन देने और सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई मीटिंग में शामिल होने के बाद एआईएडीएमके का वोट हमें मिलना तय हो गया है.’ सोनिया गांधी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति चुनाव पर रणनीति को लेकर विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई थी. 
बैठक में आम राय बनी कि विपक्ष के उम्मीदवार के ऐलान से पहले एनडीए खेमे के अगले कदम का इंतजार किया जाएगा. हालांकि मीटिंग में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेडी नेता नवीन पटनायक समेत कई अहम नेता शामिल नहीं हुए थे. बीजेपी नेता ने कहा, ‘विपक्षी एकता को लेकर कांग्रेस की मुहिम दिलचस्प है. भ्रष्टाचार में फंसे लालू प्रसाद और कणिमोझी जैसे नेताओं को छोड़कर शुक्रवार की मीटिंग से विपक्ष को कुछ भी हासिल नहीं हुआ.’
क्या कहता है अंकगणित? 
मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को खत्म हो रहा है. राष्ट्रपति चुनाव के इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 10,98,882 वोट होते हैं. जीत के लिए कम से कम 5,49,442 वोट जरूरी हैं. एनडीए (23 पार्टियों के सांसद और राज्यों की विधान सभाओं/विधान परिषदों के सदस्य मिलाकर) के पास राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित इलेक्टोरल कॉलेज में तकरीबन 48.64 फीसदी वोट हैं. 
बीजेपी 5 लाख 32 हजार 19 मगर इनमें से करीब 20 हजार कीमत के वोट एनडीए की सहयोगी पार्टियों के हैं. योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और पर्रिकर के इस्तीफे रुकवाकर बीजेपी ने 2100 वोटों की कमी पूरी कर ली है. देश के 29 राज्यों में से भाजपा 12 पर काबिज है. भाजपा को मिलाकर एनडीए 15 राज्यों पर काबिज है.
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