दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कूड़े को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि सड़क पर घर से निकला कूड़ा फेंकना और कूड़े को बिना अलग-अलग किए ढलाव पर फेंकना अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए और इसके लिए कानून में बदलाव किया जाना चाहिेए. भले ही उनकी ही पार्टी की सत्ता वाली एमसीडी कचरे के निपटान के लिए कटघरे में हो, लेकिन गुप्ता को इसके बिना कूड़े का समाधान नजर नहीं आता है.सीएम योगी आदित्यनाथ के पास कोई भी सम्पत्ति नहीं, जानिए क्या-क्या है उनके पास!
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
गुप्ता दस साल तक एमसीडी के जिम्मेदार पदों पर रहे हैं और उनका मानना है कि दिल्ली में कूड़े की समस्या के पीछे सबसे बड़ी वजह राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी है क्योंकि कभी जमीन, तो कभी फंड की कमी के चलते दिल्ली में कूड़ा प्रबंधन का सिस्टम नहीं बन पाया है. इसके साथ ही गुप्ता ने कहा कि इस वक्त भी दिल्ली सरकार को राजनीति करने के बजाए तमाम दूसरी एजेंसियों के साथ मिलकर उस समस्या से निपटाने के लिए काम करना चाहिए, जो इस वक्त दिल्ली के सामने खड़ी है.
कचरे का पहाड़ बनीं लैंडफिल साइटें
दिल्ली में कूड़ा डालने के लिए लैंडफिल साइट नहीं बची हैं. दिल्ली की तीन सबसे बड़ी लैंडफिल साइट कचरे के पहाड़ में तब्दील हो चुकी हैं और इन पर अब कूड़ा नहीं डाला जा सकता. लेकिन मजबूरी ऐसी है कि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर दो दिन कूड़ा नहीं डाला गया तो कचरे के ट्रक भरे के भरे ही खड़े रहे. आखिरकार एलजी के आदेश बाद भी अब फिर से गाजीपुर में कूड़े के ट्रक खाली किए जा रहे हैं.
मुश्किल नहीं है कचरा प्रबंधन
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि वो दस साल तक यूनिफाइड एमसीडी में रहे हैं और वो दावे के साथ कह सकते हैं कि अगर राजनीतिक इच्छा शक्ति हो, तो कचरा प्रबंधन मुश्किल नहीं है. लेकिन एमसीडी के तीन हिस्से होने के बाद ये समस्या और बढ़ गई है.
कूड़ा प्रबंधन को लेकर विजेंद्र गुप्ता का बयान-
1. शहर के बीच लैंडफिल साइट बनाना ठीक नहीं है.
2. घरों के कूड़े को बिना अलग-अलग किए और सड़कों पर फेंकना अपराध माना जाए.
3. इसके लिए कूड़ा फेंकने के लिए कानून में बदलाव होना चाहिए.
4. अब तक दिल्ली की अलग-अलग एजेंसियों में तालमेल की कमी के कारण कूड़ा प्रबंधन नहीं हो पाया है.
5. केजरीवाल राजनीति करने की बजाए हल बताएं.