अभी-अभी: अस्पतालों के मुद्दे को लेकर शुरू हुई CPM और यूपी CM में जंग..!
सीबीएसई ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि स्कूल प्रशासन ने सात साल के छात्र की मौत की खबर को पुलिस में भी देना मुनासिब नहीं समझा और प्राथमिकी भी पीड़ित के अभिभावक की ओर से ही दायर की गई। दूसरी कक्षा के प्रद्युम्न की स्कूल के वाशरूम में 8 सितंबर को गला रेत कर हत्या कर दी गई थी।
पुलिस ने इस मामले में 42 वर्षीय कंडक्टर अशोक कुमार को गिरफ्तार किया है। प्रद्युम्न के पिता की ओर से दायर याचिका के जवाब में सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बोर्ड ने इस घटना की जांच के लिए एक समिति का भी गठन किया है।
बोर्ड से पूछा गया था कि क्या स्कूल प्रशासन की लापरवाही से यह घटना हुई है। इसका जवाब हां में देते हुए बोर्ड ने कहा कि समिति ने पाया है कि स्कूल परिसर में घोर अनियमितताएं और सुरक्षा खामियां हैं। अपने हलफनामे में बोर्ड के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने कहा, ‘स्कूल परिसर में बसें खड़ी करने वाले ड्राइवरों और कंडक्टरों के लिए अलग से टॉयलेट या वाशरूम की व्यवस्था नहीं है। लिहाजा वे छात्रों और स्टाफ के टॉयलेट का ही इस्तेमाल करते थे और यह हत्या स्कूल प्रशासन की घोर लापरवाही का नमूना है।’
प्रद्युम्न के पिता के वकील सुशील टेकरीवाल ने कहा कि सीबीएसई की रिपोर्ट स्कूल परिसर में सुरक्षा खामियों को लेकर लगाए गए उनके आरोपों को सही साबित करती है। सीबीएसई ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि स्कूल प्रबंधन ने घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी बल्कि प्रद्युम्न के पिता ने ही पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई।