विदेश मंत्री जयशंकर ने की अमेरिका की तारीफ, कही ये बात

भारतीय विदेश मंत्री टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय बैठक के लिए अमेरिका में हैं। जयशंकर ने मंगलवार को वाशिंगटन में हावर्ड यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित किया। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत की मदद के लिए अमेरिका की तारीफ की है। हावर्ड यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने याद किया कि कैसे सभी देशों के लिए कोविड 19 का अनुभव काफी तनावपूर्ण रहा है।

इस दौरान उन्होंने कहा, ‘कोरोना काल ने दिखाया कि दुनियाभर में दोस्ती और रिश्ते क्या कर सकते हैं। भारत अभी तीन टीकों का उत्पादन कर रहा है। ये अमेरिका के साथ हमारे संबंधों का प्रत्यक्ष परिणाम हैं।’ जयशंकर ने आगे कहा कि जब हर कोई टीके बना सकता था तो वो टीके बनाने में व्यस्त था। उस दौरान सप्लाई चेन को चलाना मुश्किल हो गया था।

विदेश मंत्री आगे कहा कि वह इसे साल 2021 की बड़ी उपलब्धि मानते हैं क्योंकि अमेरिका की मदद से भारत वैक्सीन का उत्पादन बढ़ा सका। जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भी तारीफ की। जयशंकर ने कहा, ‘ब्लिंकन ने चीजों को होने देने में बेहतर रास्ता अपनाया।’

उन्होंने फिर से याद किया कि कैसे भारत डेल्टा संस्करण की एक बहुत ही गंभीर लहर से गुजरा था। विदेश मंत्री ने बताया कि हमारे पास आक्सीजन, श्वासयंत्र और कुछ दवाओं की भारी मांग थी। बहुत सारे देश आगे आए, लेकिन एक देश जो वास्तव में सबसे अलग था, वह था अमेरिका।

ब्लिंकन भी रहे मौजूद

बता दें कि जयशंकर के संबोधन के दौरान वहां एंटनी ब्लिंकन भी मौजूद थे। ब्लिंकन ने भी हावर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों, शिक्षकों के सात बातचीत में हिस्सा लिया। दोनों विदेश मंत्रियों ने भारतीय छात्रों, विद्वानों और अमेरिका में काम करने वाले शोधकर्ताओं और अमेरिकी छात्रों, विद्वानों और शोधकर्ताओं के साथ बातचीत की। ब्लिंकन ने कहा कि मुझे विश्वास है कि अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी 21 वीं सदी की समस्याओं के समाधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक है। आपका काम उस रिश्ते का केंद्र बिन्दु है।

धिकारी ने कहा, ‘मैं यही कहना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री मोदी के सामने अपने विचारों को स्पष्ट रूप से साझा करने का अवसर था कि क्या हो रहा है।’ अधिकारी ने कहा, ‘हम जानते हैं कि रूस की चिंताएं हैं। हम इससे अवगत हैं कि रूस और चीन के संबंधों को लेकर भारत की चिंताएं हैं। भारत, निश्चित रूप से एलएसी पर बहुत तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा है और जब भारत, चीन और रूस के बीच घनिष्ठ संबंधों को देखता है, तो यह स्पष्ट रूप से उसकी सोच को प्रभावित करने वाला है।’

अधिकारी इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या बाइडन ने विशेष रूप से भारत को यूक्रेन संकट पर एक पक्ष लेने के लिए कहा है। अधिकारी ने कहा कि बाइडन के लिए यह करीबी परामर्श को जारी रखने का मौका था। उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन के खिलाफ कई हफ्तों से जारी रूस के बर्बर युद्ध के दौरान हमारी सरकार में और कई अलग-अलग स्तरों पर भारत के साथ वार्ता होती रही है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत अपने फैसले खुद करने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सार्वजनिक टिप्पणी में स्थिति का जिक्र किया और चर्चा हुई। मेरा मतलब है, राष्ट्रपति ने अपने विचार साझा किए और प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विचार साझा किए।’

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