
इस साल 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। बता दें कि प्रति वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है। ये दिन इसलिए भी खास होता है क्योंकि इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। वहीं गुरु पूर्णिमा का नाता वर्षा ऋतु से भी है। क्योंकि इस समय वातावरण में न अधिक गर्म होता है और न अधिक ठंड़ा होता है। इस दिन वेद व्यासजी के ग्रन्थों को पढ़कर जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। रामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता पर पुष्प चढ़ाएं और इनका पाठ करें।देवशयनी एकादशी
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। जिस कारण गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में 18 पुराणों का जिक्र है, जिनके रचयिता भी महर्षि वेदव्यास ही हैं। इतना ही नहीं वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी कृष्ण द्वैपायन व्यास को ही जाता है। जिस वजह से इनको वेदव्यास के नाम से भी लोग
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 23 जुलाई शुक्रवार को सुबह 10:43 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 24 जुलाई, शनिवार को सुबह 08:06 बजे
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