आषाढ़ में इस तरह सूर्य देव की पूजा करने से दुश्‍मनों पर मिलती है विजय

आषाढ़ मास का हिंदू वर्ष में बहुत महत्‍व है। इस मास में आने वाले कई प्रमुख पर्व व्‍यक्‍ति के जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं। प्राचीन धार्मिक मान्‍यताओं के मुताबिक इस माह सूर्य देव की तीन समय पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है। साथ ही पिछले जन्‍म के सभी पाप खत्‍म हो जाते हैं। माना जाता है कि इस माह में सूर्य देव की उपसना करने से व्‍यक्‍ति निरोग और स्‍वस्‍थ रहता है। आषाढ़ में सूर्य की पूजा से न सिर्फ अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य का आशीर्वाद मिलता है, बल्‍कि लंबी उम्र का भी वरदान प्राप्‍त होता है। सूर्य की पूजा से व्‍यक्‍ति के भीतर आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है और सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होता है। सच्‍ची श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्‍तों को भगवान सूर्य नारायाण संतान सुख का भी आशीर्वाद देते हैं।
इस मास से बारिश के मौसम की भी शुरुआत मानी जाती है। इसलिए इस माह में शारीरिक और घर की साफ-सफाई का विशेष महत्‍व होता है। कहते हैं आषाढ़ में खट्टी चीजों, जैसे दही और अचार नहीं खाना चाहिए। इस दौरान पानीदार फलों का सेवन सेहत के लिए अच्‍छा रहता है। हालांकि बेल का सेवन नहीं करना चाहिए। घर में सुबह-शाम दोनों समय दीपक जलाना चाहिए और अगर संभव हो तो हवन भी करना चाहिए।
आषाढ़ मास का नाम दो नक्षत्रों पूर्वाआषाढ़ा अैर उत्‍तराआषाढ़ा के नाम पर रखा गया है। माना जाता है कि इस समय चंद्रमा इन्‍हीं दो नक्षत्रों के बीच रहता है। इस मास में सूर्य देव के अलावा देवगुरु बृहस्‍पति और भगवान विष्‍णु की खासतौर से पूजा की जाती है। पौराणिक शास्‍त्रों के मुताबिक इस माह में विष्‍णु जी के वामन अवतार की पूजा का भी विशेष महत्‍व बताया गया है। इस रूप में भगवान विष्‍णु की पूजा करने से संतान सुख मिलता है।
इस विधि से करें सूर्य देव की पूजा
भगवान श्रीकृष्‍ण ने अपने पुत्र को सूर्य उपासना की विधि बताई थी और कहा था कि भगवान सूर्य प्रत्‍यक्ष देव हैं, और इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है। श्रीकृष्‍ण के कथनानुसार :
–      सूर्योदय से पहले उठकर नित्‍यकर्म और घर की साफ-सफाई करने के बाद तीर्थस्‍नान करना चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो तो घर में नहाने के पानी में गंगा जल डालकर नहाएं और साफ कपड़े पहनें।
–      भगवान सूर्य नारायण को जल चढ़ाने के लिए तांबे के साफ लोटे में जल भरें, इसमें अक्षत और फूल डालें और सूर्य देवता की तरफ मुंह करके जल चढ़ाएं।
–      जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र ‘ऊं रवये नम:’ या ‘ऊं घृणीह्य सूर्यदेवाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
–      जल चढ़ाने के बाद उन्‍हें धूप और दीपक दिखाएं और सूर्यदेव से अच्‍छी सेहत, शक्‍ति, सम्‍मान और बुद्धि की कामना करें।
अपराजिता श्रीवास्‍तव
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