इस बार टोक्यो में आज से ओलंपिक का 32वां संस्करण शुरू होने जा रहा है। ये जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित किया जा रहा है। बता दें कोरोना के चलते इस बार ओलंपिक साल भर देरी से आयोजित किए जा रहे हैं। मालूम हो कि कोरोना अब भी जड़ से खत्म नहीं हुआ है इसलिए ओलंपिक में ऑडियंस नहीं होगी। अब देखना ये है कि क्या ऑडियंस के होने या न होने से खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर कोई असर पड़ेगा। तो चलिए जानते हैं कि क्या कहती हैं रिपोर्ट्स व रिसर्च।
मनोचिकित्सकों का कहना है कुछ और ही
इस मुद्दे पर कई मनोचिकित्सकों का मानना है कि खाली स्टेडियम होने की वजह से ओलंपिक के मैदान पर मैच खिलाड़ियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होंगे। इस पर कई अन्य विशेषज्ञों ने भी अपनी राय दी है। विशेषज्ञ अब तक ये पता नहीं कर पाए हैं कि स्टेडियम खाली होने की वजह से एथलीटों की मनोस्थिति पर क्या असर पड़ेगा। क्या वो बेहतर परफॉर्मकर पाएंगे या फिर कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। इस पर कई एक्सपर्ट्स ने आशंका जताते हुए कहा है कि स्टेडियम में बिना दर्शकों की आवाज के खिलाड़ियों के मन पर खेलते वक्त असर पड़ सकता है।
दर्शकों की उत्साहवर्धक आवाजें होती हैं एथलीट का सपोर्ट
ये दर्शकों की आवाजें और सपोर्ट ही तो है जिसके लिए वे अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे पर वहां पर उन्हें चीयर करने के लिए एक भी ऑडियंस नहीं होगा। बता दें कि अमेरिका के जिम्नास्टिक स्टार सिमोन बाइल्स ने इस बारे में बात की है और अपनी राय भी दी है। उन्होंने बात करते हुए कहा है कि मुझे ऑडियंस या भीड़ के बीच में प्रदर्शन करना पसंद है। इसलिए बिना आडियंस के खिलाड़ियों के प्रदर्शन को लेकर स्थिति चिंताजनक है। इस तरह से खाली स्टेडियम में खेलना निराशाजनक हो जाता है।
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बिना दर्शकों के निराश हो जाते हैं एथलीट
वहीं कुछ रिसर्चों की बात मानें तो खेल के दौरान एथलीट या खिलाड़ी का उत्साह बढ़ते रहना जरूरी होता है। इससे उनके खेलने पर प्रभाव पड़ता है। अगर वहां पर फैंस या सपोर्ट्स नहीं दिखेंगे तो इसका प्रभाव उनके खेल के प्रदर्शन पर भी साफ दिखाई पड़ सकता है।
ऋषभ वर्मा