ISRO के इन खास उपग्रहों से भारत में शुरू होने जा रहा है, हाई स्पीड इंटरनेट युग...

ISRO के इन खास उपग्रहों से भारत में शुरू होने जा रहा है, हाई स्पीड इंटरनेट युग…

दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स के मामले में भारत भले ही अमेरिका को पछाड़कर पिछले साल चीन के बाद दूसरा स्थान पर रहा, लेकिन जब इंटरनेट स्पीड की बात आती है तो यह अब भी कई एशियाई देशों से भी पीछे है. हालांकि, यह स्थिति अगले 18 महीनों में बदलने वाली है, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आने वाले दिनों तीन संचार उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है, जिसका मकसद भारत में भी हाई स्पीड इंटरनेट युग की शुरुआत करना है.ISRO के इन खास उपग्रहों से भारत में शुरू होने जा रहा है, हाई स्पीड इंटरनेट युग...यह भी पढ़े: 2000 साबरमती एक्सप्रेस में हुआ बड़ा धमाका: AMU के पूर्व स्कॉलर गुलजार वानी हुए दोषमुक्त

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने ISRO के अध्यक्ष किरण कुमार के साथ बातचीत के हवाले से बताया कि वे तीन संचार उपग्रह लॉन्च करने जा रहे हैं. जून में GSAT-19 की लॉन्चिंग होनी है, उसके बाद GSAT-11 और फिर GSAT-20 को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. GSAT-19 को ISRO के अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण याण GSLVMk III से प्रक्षेपित किया जाएगा. 

भारत के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान – भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान माक-3 (GSLVMK-III) सबसे भारी भारतीय संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए लिए बनाया गया है. अंतरिक्ष तकनीक में बड़ा बदलाव लाने वाले मिशन के तौर पर देखे जा रहे GSLVMK-III के साथ अब भारत दूसरे देशों पर निर्भर हुए बिना बड़े उपग्रहों का देश में ही प्रक्षेपण कर सकता है. यह चार टन तक के वजन वाले उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज सकता है, जो मौजूदा जीएसएलवी मार्क-2 की दो टन की क्षमता से दोगुना है.

ISRO को भारत से 36,000 किलोमीटर की भूस्थिर कक्षा में ज्यादा भारी संचार अंतरिक्षयान भेजने में भी सक्षम करेगा. शक्तिशाली प्रक्षेपण यान ना होने के कारण इसरो इस समय दो टन से अधिक वजनी उपग्रह ऊंची कीमत पर यूरोपीय रॉकेट से प्रक्षेपित करता है.

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक के शिवन ने तिरुवनंतपुरम में एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, पूरे जोर शोर से तैयारियां जारी हैं. और इस समय क्रायोजेनिक स्टेज भी यान से जोड़ा जा रहा है. उपग्रह भी तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, हो सकता है कि एक हफ्ते में हम उपग्रह को यान से जोड़ने में सक्षम हों. हम जून के पहले हफ्ते में प्रक्षेपण का लक्ष्य बना रहे हैं.

हालांकि शिवन ने कहा कि जीएसएलवी मार्क 3 के प्रक्षेपण की तारीख अब तक तय नहीं हुई है. जीएसएलवी मार्क 3 संचार उपग्रह जीसैट-19 को लेकर उड़ान भरेगा, जिसका वजन 3.2 टन से ज्यादा है. उन्होंने कहा, यह एक बेहद उन्नत यान है. उपग्रह भी बेहद उन्नत है.

वहीं अहमदाबाद स्थित स्पेस ऐप्लिकेशन सेंटर के निदेशक तपन मिश्रा ने अखबार से बातचीत में बताया कि इन तीनों उपग्रहों के अंतरिक्ष में काम करना शुरू करते ही हाई-क्वॉलिटी इंटरनेट, फोन और वीडियो सेवा देना शुरू कर देंगे.’ उन्होंने कहा कि पहले प्रक्षेपित GSAT उपग्रहों का प्रभावी डेटा रेट एक गीगाबाइट प्रति सेकंड है, जबकि GSAT-19 प्रति सेकंड चार गीगाबाइट डेटा देने में सक्षम होगा.

मिश्रा ने साथ ही बताया कि इस साल के आखिर में GSAT-11 अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा, जो 13 गीगाबाइट प्रति सेकंड की दर से डेटा ट्रांसफर करने में सक्षम होगा. वहीं, ISRO की योजना वर्ष 2018 के अंत तक GSAT-20 के प्रक्षेपण की है, जिसका डेटा रेट 60 से 70 गीगाबाइट प्रति सेकंड होगा.’

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