अब कश्मीर में पैलेट गन नहीं, बल्कि पत्थरबाजों पर घाव नहीं करने वाली प्लास्टिक की बुलेट चलाई जाएंगी। इसके लिए 21 हजार प्लास्टिक की बुलेट की खेप कश्मीर भेजी जा चुकी है। पत्थरबाजों पर कश्मीर में पैलेट गन चलाए जाने पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे थे।आरएएफ के सिल्वर जुबली समारोह में पहुंचे सीआरपीएफ के महानिदेशक राजीव राय भटनागर ने इस दौरान बताया कि प्लास्टिक की इन बुलेट का अभी ट्रायल नहीं हुआ है।बड़ी खबर: गुजरात दौरे के दूसरे दिन वडनगर पहुंचे मोदी, PM बनने के बाद पहली बार गए अपने गांव
लेकिन ये पैलेट से कम घातक हैं और इन्हें एके 47 आदि असलहे से भी चलाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अभी पहली खेप ही बनकर तैयार हुई है, बाकी के निर्माण का काम चल रहा है। किस्तों में बाकी खेप वहां जाएंगी। खड़की पुणे की आर्डिनेंस फैक्ट्री में इन्हें तैयार कर डिजाइन किया गया है। इन्हें इस तरह का बनाया गया है कि भीड़ पर कंट्रोल भी हो जाए और उन्हें ज्यादा नुकसान भी न पहुंचे।
उन्होंने बताया कि एके 47 रायफल से अगर प्लास्टिक की बुलेट दागी जाएं तो इससे जान जाने का खतरा नहीं रहेगा। बस इतना ध्यान रखना होगा कि गोलियां किसी संवेदनशील जगह पर न लगें और साथ ही बहुत नजदीक से किसी पर फायरिंग न हो। प्लास्टिक की इन बुलेट को एक-एक करके चलाया जा सकता है, न कि एक साथ। प्रयोग के तौर पर इन बुलेट को कश्मीर भेज दिया गया है।
गौरतलब है कि कश्मीर में पैलेट गन के प्रयोग को लेकर सुरक्षा बल को आलोचना का सामना करना पड़ा था। सुरक्षा बल भीड़ पर काबू पाने के लिए गैर घातक श्रेणी में आखिरी विकल्प के तौर पर पावा (पेलार्गोनिक एसिड वैनिलिल एमाइड) गोलों और पैलेट गन का इस्तेमाल कर रहे थे।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी आरएएफ के कार्यक्रम में कहा कि कठोर बल प्रयोग करते समय विवेक और नई तकनीकों का भी इस्तेमाल करना चाहिए। इस विषय में और भी तरीकों के बारे में गंभीरता पूर्वक विचार किया जा रहा है।