केजरीवाल और अरुण जेटली मानहानि मामले में आज आ सकता है कोर्ट का फैसला

द‌िल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और वित्त मंत्री अरुण जेटली मानहानि मामले में आज दिल्ली हाईकोर्ट आरोप तय कर सकती है।
बता दें कि शुक्रवार को हाईकोर्ट ने वित्त मंत्री अरुण जेटली मानहानि मामले में जल्द सुनवाई के आदेश संबंधी फैसले पर सवाल उठाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व आप नेता आशुतोष को कड़ी फटकार लगाई थी।
केजरीवाल और अरुण जेटली मानहानि मामले में आज आ सकता है कोर्ट का फैसला
अदालत ने कहा था संभवत: उनकी नजर में यह पहला मामला है जब कोई यह कह रहा है कि मामले में जल्द सुनवाई न हो। इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व पांच अन्य आप नेताओं के खिलाफ सुनवाई चल रही है। अदालत ने फिलहाल दायर आवेदन पर फैसला सुरक्षित रखा था।

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केजरीवाल को लगाई फटकार

कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी.हरिशंकर की पीठ ने मामले में यदि जज ने जल्द मामले के निपटारे का आदेश दिया है तो इसमें गलत क्या है। अदालत की ड्यूटी है कि मामलों को समयबद्ध तरीके से जल्द निपटाए। यह एक मामले में नहीं हर मामले में तय होता है।

अदालत ने आप नेता आशुतोष को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि जज ने प्रभाव में आकर जल्द निपटारे का आदेश दिया है। खंडपीठ ने कहा हाईकोर्ट किसी भी मामले में देरी से हुए ट्रायल के लिए सर्वोच्च न्यायालय के प्रति जवाबदेह है।

दरअसल आशुतोष ने हाईकोर्ट के सिंगल जज मनमोहन द्वारा 26 जुलाई के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने मामले की जल्द सुनवाई का आदेश दिया था। यह फैसला जेटली की याचिका पर आया था।

अदालत भी केजरीवाल की बात से हैरान

जेटली ने वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी द्वारा जिरह के दौरान उनके खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए मामले की जल्द सुनवाई का निर्देश देने का आग्रह किया था।

अदालत ने कहा कि हम पहली बार ऐसी याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं जिस मामले में जल्द निपटारे पर कोई परेशान हो रहा है। अदालत ने केजरीवाल के अधिवक्ता से कहा आप ने इस प्रकार की याचिका दायर करने की अपेक्षा अपने मुवक्किल को यह सलाह क्यों नहीं दी कि मामले का अंत जल्द होना चाहिए।

केजरीवाल के अधिवक्ता ने तर्क रखा कि जब मामले में संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष बयान दर्ज हो रहे हों तो जज को ऐसे में मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। वहीं जेटली के अधिवक्ता ने कहा कि यह मात्र मामले में देरी करने का उद्देश्य है। मामला डीडीसीए में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।

 
 
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