इन दिनों ओलंपिक में भारत ने कई सारे मेडल अपने नाम कर लिए हैं।अभी तक एक सिल्वर व तीन ब्राॅन्ज मेडल भारत ने अपने नाम दर्ज कराए हैं। इनमें से एक ब्राॅन्ज मेडल भारतीय महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन के नाम पर भी है। हालांकि वे भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल करने का अपना सपना सच नहीं कर पाईं फिर भी खाली हाथ नहीं लौटीं। वे ब्राॅन्ज मेडल जीत कर आई हैं। तो चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने पिछले 9 सालों से एक छुट्टी तक नहीं ली।
9 सालों तक बिना छुट्टी लिए की प्रेक्टिस
भारतीय महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य पदक जीत कर अपना ही नहीं देश का नाम भी रोशन किया है। खास बात तो ये है कि उन्होंने साल 2012 के बाद से 9 सालों तक एक भी छुट्टी नहीं ली और अब वे इतने सालों बाद ओलंपिक पदक जीतने की खुशी मे छुट्टियां लेंगी और उसे सेलिब्रेट भी करेंगी। 23 साल की लवलीना को ओलंपिक के सेमीफाइनल में 69 किलो वर्ग में तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली ने 5-0 से हरा दिया था। बता दें कि बुसेनाज विश्व चैंपियन भी हैं।
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ओलंंपिक पदक पाने वाली बनीं तीसरी भारतीय मुक्केबाज
ओलंपिक में अगर बॉक्सिंग की बात करी जाए तो विजेंद्र सिंह ने साल 2008 में तो एमसी मैरीकॉम ने 2012 में और लवलीना ने 2020 में ओलंपिक पदक अपने नाम किए हैं। वे ओलंंपिक मेडल जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज बन गई हैं। लवलीना ने बताया, ‘मैंने ये पदक हासिल करने के लिए पिछले आठ सालों से मेहनत की थी, अपना मनपसंद खाना नहीं खाया। 9 साल पहले मैंने मुक्केबाजी का करियर शुरू किया था।’ बता दें कि लवलीना दो बार विश्व चैंपियन भी रह चुकी हैं। वे कोरोना की वजह से प्रैक्टिस के लिए यूरोप नहीं गईं। लवलीना बोलीं कि अब मैं एक महीने से ज्यादा का ब्रेक लूंगी। मैंने जब से मुक्केबाजी की शुरुआत की, कभी छुट्टी नहीं ली। उन्हें लगता था कि एक दिन की छुट्टी लेने मात्र से भी उनके परफार्मेंस पर असर पड़ सकता है।भारत को उनसे आगे भी इसी तरह के परफॉरमेंस की उम्मीद रेहगी।
ऋषभ वर्मा