ओलंपिक में भाला फेंक प्रतियोगिता में इंडियन आर्मी के जवान नीरज चोपड़ा ने बेहतरीन प्रदर्शन कर देश के लिए गोल्ड जीता और देशवासियों को गौर्वान्वित कराया। चलिए जानते हैं नीरज को ये सफलता मिलने के पीछे के कुछ राज।
ओलंपिक में नीरज के गोल्ड जीतने का सफर
राष्ट्रीय खेलों में नीरज चोपड़ा का पांचवा स्थान था। हरियाणा के रहने वाले 23 वर्षीय नीरज बीते शनिवार को गोल्ड मेडल जीते हैं। वे गत 13 वर्षों में देश के लिए गोल्ड मेडल लाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं। इसके साथ ही वे ओलंंपिक के इतिहास में भारत की ओर से एथलेटिक्स में गोल्ड लाने वाले भी पहले व्यक्ति बन गए हैं। इस अचीवमेंट के मौके पर नीरज के कोच नायर ने उनके शुरुआती दौर के सफर को याद किया। उन्होंने बताया कि 2015 में वे राष्ट्रीय खेलों में पांचवें नंबर पर रहे थे। बता दें कि कोच नायर ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘मैंने नीरज को 2015 के खेलों के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देखा था।’
कोच गैरी ने मैदान में उनके प्रदर्शन को दिया आकार
नायर ने गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी के सफलता के राज भी फैंस से साझा किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिविर में टाॅप 3 प्लेयर्स पर विचार करना था और नीरज फाइनल में पांचवेंं नंबर पर था। हालांकि मैंने उसकी परफार्मेंस देखी थी और मुझे अंदाजा हो गया था कि वो दो सालों के अंदर ही 80 मीटर से दूर भाला फेंकने लगेगा। 2016 में कोच बदल गए। आस्ट्रेलिया के गैरी कैल्वर्ट कोच बन गए थे।
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यहां से हुई नीरज के बेहतरीन करियर की शुरुआत
नीरज ने कहा, ‘मेरी खेलने की तकनीक शुरुआती समय में अच्छी नहीं थी। बायो मैकेनिक्स विशेषज्ञ बार्टोनीट्स की वजह से उनकी तकनीक में बदलाव आए हैं। वहीं कोच गैरी ने भी मुझको अच्छे प्रदर्शन के लिए मैदान पर ढाला है।’ उस वक्त नीरज गुरुग्राम के पंचकुला में ताउ देवीलाल स्टेडियम में अभ्यास करने आए थे। बता दें वहां प्रैक्टिस करने के दौरान एक प्रतियोगिता में नीरज 73.45 मीटर थ्रो करने के साथ ही पांचवें नंबर पर रहे थे। इसके बाद नीरज को एनआईएस पटियाला में राष्ट्रीय शिविर में ले जाया गया था।
ऋषभ वर्मा
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