धर्म

अपार धन सम्पति चाहिए तो हर दिन जपें अपनी राशि के अनुसार 1 विशेष मंत्र

मंहगाई के जमाने में सैलरी कम होती जा रही है और खर्चे बढ़ते जा रहे हैं, भविष्य को सुरक्षित कुछ बच नहीं पाता। जब आपका अकाउंट खाली होने की कगार पर आता है तो आगे के दिन कैसे चलेंगे, इसी बात की चिंता करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है …

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जन्मदिन 18 जून 2018-19 की वार्षिक भविष्यवाणी

इस वर्ष मंगल वर्ष का स्वामी है। चन्द्रमा एकादश भाव में होने से आपके विशेष परिश्रम को उजागर करेगा। बौद्धिक प्रयासों में भी आशातीत सफलता का हर्ष होगा। कुछ जातकों को जून से जुलाई और अगस्त से सितंबर तक अनियोजित तरीके से धन लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। इस वर्ष …

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पंचांग 18 जून 2018: आज ही अरण्य षष्ठी वक्री

राष्ट्रीय मिति ज्येष्ठ 28 शक संवत् 1940 ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी सोमवार विक्रम संवत् 2075 सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 04, शव्वाल 03 हिजरी 1439 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 18 जून 2018 ई०। उत्तरायण, उत्तर गोल, ग्रीष्म ऋतु। राहुकाल प्रातः 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक। पंचमी तिथि प्रातः 8 …

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राशिफल 18 जून: गुरु स्वाति नक्षत्र में कैसा गुजरेगा आपका आज का दिन

मेष: मानसिक रूप से थकान का अनुभव कर सकते हैं। परिश्रम की तुलना में फल की प्राप्ति कम होगी लेकिन मेहनत करना बंद न करें, फल जरूर मिलेगा। संतानों के विषय में आपको चिंता हो सकती है। सरकारी कार्यो में सफलता मिलेगी। वृषभ: किसी भी कार्य को मनोबल और आत्मविश्वास …

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माता पार्वती के अलावा इन्हें भी कहा जाता हैं भगवान शिव की अर्धांगिनी

आज तक हम सभी ने यही सुना हैं कि भगवान शिव की अर्धांगिनी केवल माता पार्वती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता षोडशी माहेश्वरी को भी भगवान शिव की अर्धांगिनी माना गया हैं. कहा जाता हैं कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आपके द्वारा प्रकाशित तंत्र शास्त्र की साधना से जीव के आधि-व्याधि, शोक-संताप, दीनता-हीनता तो दूर हो जाएंगे, किन्तु गर्भवास और मरण के असह्य दुख की निवृत्ति तो इससे नहीं होगी. इस दौरान पार्वती ने कहा कि निवृत्ति और मोक्ष पद की प्राप्ति का कोई उपाय बताइए. तब भगवान शिव ने षोडशी श्री विद्या-साधना-प्रणाली को प्रकट किया. यही वजह हैं कि आज भी सभी शंकर पीठों में भगवती षोडशी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी की श्रीयंत्र के रूप में आराधना चली आ रही है. माना गया हैं कि प्रशांत हिरण्य गर्भ ही शिव हैं और उन्हीं की शक्ति षोडशी है. तंत्र शास्त्रों में षोडशी देवी को पंचवक्त्र अर्थात पांच मुखों वाली बताया गया है. महाविद्याओं में इनको चौथा स्थान दिया गया हैं. इन्हें ललिता, राज राजेश्वरी, महात्रिपुर सुंदरी, बाला पञ्चदशी जैसे नामों से पहचाना जाता हैं. षोडशी देवी के दस हाथ हैं जिनमे अभय, टंक, शूल, वज्र, पाश, खंग, अंकुश, घंटा, नाग और अग्नि हैं. माना गया हैं कि इन सभी हाथों में षोडश कलाएं पूर्ण रूप से विकसित हैं जिसके चलते उन्हें षोडशी देवी कहा गया हैं.

आज तक हम सभी ने यही सुना हैं कि भगवान शिव की अर्धांगिनी केवल माता पार्वती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता षोडशी माहेश्वरी को भी भगवान शिव की अर्धांगिनी माना गया हैं. कहा जाता हैं कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आपके द्वारा प्रकाशित तंत्र शास्त्र …

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शिवलिंग पर राशि अनुसार यह चीजें चढ़ाने से दूर होती है बाधाएं

कर्क राशि : इस राशि का स्वामी चंद्र है. इसलिए आप कर्पूर मिश्रित जल से शिवलिंग का अभिषेक करें. दूध, दही, गंगाजल और मिश्री चढ़ाएं. सिंह राशि : इस राशि का स्वामी सूर्य है. इन लोगों को शिवलिंग पर मिश्री और जल मिलाकर चढ़ाना चाहिए. बिल्व पत्र के साथ लाल फूल भी चढ़ाना चाहिए. कन्या राशि : इस राशि का स्वामी बुध है. बुध के लिए शिवलिंग पर बिल्व पत्र, पंचामृत चढ़ाकर धतूरा अर्पित करें. तुला राशि : इस राशि का स्वामी शुक्र है.शिवलिंग पर दही और गन्ने का रस के साथ ही, बिल्व पत्र भी चढ़ाएं. वृश्चिक राशि : इस राशि का स्वामी मंगल है. आप शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं. शिवलिंग पर लाल चंदन का तिलक करें. धनु राशि : इस राशि का स्वामी गुरु है. आप कच्चा दूध चढ़ाएं. दूध में केसर, मिश्री मिला लेना चाहिए. केला, आम या पपीते का दान भी करें. मकर राशि : इस राशि का स्वामी शनि है. इन लोगों को शिवलिंग पर घी, शहद, दही चढ़ाना चाहिए.नारियल का पानी और नीले फूल चढ़ाएं. कुंभ राशि : इस राशि का स्वामी शनि है. आपको शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए. शिवजी को इत्र और बिल्व पत्र के साथ नीले वस्त्र चढ़ाएं. मीन राशि : इस राशि का स्वामी गुरु है. कच्चे दूध में केसर मिलाकर शिवजी को पीले फूल भी चढ़ाएं.

भगवान शिव को भोले बाबा भी कहा गया है जो छोटी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं .शिवपुराण के अनुसार इस संपूर्ण सृष्टि की रचना शिवजी की इच्छा से ब्रह्माजी ने की है भगवान विष्णु इस सृष्टि का पालनकर्ता हैं. शिवजी इस सृष्टि के सार हैं.कुंडली में कोई …

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एकादशियों में श्रेष्ठ है निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी की पौराणिक कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत के संदर्भ में निर्जला एकादशी की कथा मिलती है। कथानुसार सभी पांडवों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति के लिए महर्षि वेदव्यास ने एकादशी व्रत का संकल्प करवाया। अब माता कुंती और द्रौपदी सहित सभी एकादशी का व्रत रखते लेकिन भीम को मुश्किल थी, जो कि गदा चलाने और भोजन करने के मामले में काफी प्रसिद्ध थे। उन्हें भूख बहुत लगती थी। उनके लिये महीने में दो दिन उपवास करना बहुत कठिन था। जब पूरे परिवार का उन पर व्रत के लिये दबाव पड़ने लगा तो वे इसकी युक्ति ढूंढने लगे कि उन्हें भूखा भी न रहना पड़े और उपवास का पुण्य भी मिल जाए। अपने उदर पर आई इस विपत्ति का समाधान भी उन्होंने महर्षि वेदव्यास से ही जाना। भीम पूछने लगे हे पितामह मेरे परिवार के सभी सदस्य एकादशी का उपवास रखते हैं और मुझ पर भी दबाव बनाते हैं। मैं धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, दानादि कर सकता हूं लेकिन उपवास रखना मेरे सामर्थ्य की बात नहीं हैं। तब व्यास जी ने कहा, भीम यदि तुम स्वर्ग और नरक में यकीन रखते हो तो तुम्हारे लिए भी यह व्रत करना जरूरी है। इस पर भीम की चिंता और भी बढ़ गई, उसने व्यास जी कहा, हे महर्षि कोई ऐसा उपवास बताने की कृपा करें जिसे साल में एक बार रखने पर ही मोक्ष की प्राप्ति हो। इस पर महर्षि वेदव्यास ने गदाधारी भीम को कहा कि हे वत्स यह उपवास है तो बड़ा ही कठिन लेकिन इसे रखने से तुम्हें सभी एकादशियों के उपवास का फल प्राप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस उपवास के पुण्य के बारे में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने मुझे बताया है। तुम ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का उपवास करो। इसमें आचमन व स्नान के अलावा जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। इस एकादशी की तिथि पर निर्जला उपवास रखकर भगवान केशव यानी श्री हरि की पूजा करना और अगले दिन स्नानादि कर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर, भोजन करवाकर फिर स्वयं भोजन करना। इस प्रकार तुम्हें केवल एक दिन के उपवास से ही साल भर के उपवासों जितना पुण्य मिलेगा। महर्षि वेदव्यास के बताने पर भीम ने यही उपवास रखा और मोक्ष प्राप्ति की। भीम द्वारा उपवास रखे जाने के कारण ही निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी और चूंकि पांडवों ने भी इस दिन का उपवास रखा तो इस कारण इसे पांडव एकादशी भी कहा जाता है। इन नामों से भी यह प्रसिद्ध है। निर्जला एकादशी व्रत है कठिन जैसा महर्षि वेदव्यास ने भीम को बताया था एकादशी का यह उपवास निर्जला रहकर करना होता है इसलिए इसे रखना कठिन होता है। क्योंकि एक तो इसमें पानी तक पीने की मनाही होती है दूसरा एकादशी के उपवास को द्वादशी के दिन सूर्योदय के पश्चात खोला जाता है। अत: इसकी समयावधि भी काफी लंबी हो जाती है। मरीज व्रत से परहेज करें, नाम जपें श्री विष्णु की कृपा पाने के लिए लोग इस व्रत को करते हैं लेकिन बीमार और डायबीटिज जैसी बीमारियों से जूझने वाले व्यक्तियों को ऐसे व्रत को करने से पहले विचार करना चाहिए। यह उनकी सेहत के लिए मुश्किल हो सकता है। ऐसे में भगवद् स्मरण ज्यादा उचित है। निर्जला एकादशी पूजा विधि सभी व्रत, उपवासों में निर्जला एकादशी को श्रेष्ठ माना जाता है इसलिये पूरे यत्न के साथ इस व्रत को करना चाहिए। व्रत करने से पहले भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि प्रभु आपकी दया दृष्टि मुझ पर बनी रहे, मेरे समस्त पाप नष्ट हों। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें। एकादशी के सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक अन्न् व जल का त्याग करें। अन्न्, वस्त्र, जूती आदि का अपनी क्षमतानुसार दान कर सकते हैं। जल से भरे घड़े को भी वस्त्र से ढककर उसका दान भी किया जाता है व साथ में क्षमतानुसार स्वर्ण भी दिया जाता है। ब्राह्मणों अथवा किसी गरीब व जरुरतमंद को मिष्ठान्न् व दक्षिणा भी देनी चाहिए। 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का उच्चारण भी करना चाहिए। साथ ही निर्जला एकादशी की कथा भी पढ़नी या सुननी चाहिए। द्वादशी के सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर तत्पश्चात अन्ना व जल ग्रहण करें। व्रती को ध्यान रखना चाहिए कि गलती से भी स्नान व आचमन के अलावा जल ग्रहण न हों। आचमन में भी नाममात्र जल ही ग्रहण करना चाहिए। जो व्रत न कर सकें वे नाम जपें।

हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं, लेकिन जिस वर्ष अधिकमास हो तब इनकी संख्या 26 हो जाती है। एकादशी उपवास रखकर भगवान विष्णु के पूजन का दिन है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने, पूजा और दान करने से व्रती जीवन में सुख-समृद्धि का भोग …

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तो इस वजह से घरों में रखा जाता है कछुआ और लांफिग बुद्धा

अक्सर लोग अपने परिवार को बुरी नजरों से बचाने के लिए घर में कई तरह के नुस्खे आजमाते है या फिर यूँ कहे कि वह कई तरह के उपाय करते है ताकि ग्रह दोष, वास्तुदोष, सेहत संबंधी परेशानियां, धन से संबंधित समस्या उनके घर से दूर हो जाए. आपने कई घरो …

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अगर मिले ये 8 संकेत तो समझ जाइए कि आपके आस-पास भटक रही है कोई आत्मा

कई बार हमारे साथ कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिनके जवाब हमारे दिमाग के पास नहीं होते हैं। जैसे कि अचानक से आपको आपके शरीर में सिहरन महसूस होने लगे या फिर किसी के आस-पास न होने पर भी ऐसा लगे कि किसी ने आपको छुआ है। बता दें, ये ऐसे कुछ संकेत …

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राशिफल 15 जून: आज इन राशि वालों को मिलेंगे ये बड़े लाभ

मेष: आज आपका दिन शुभ फलदायी होगा। आज आप कोई भी महत्त्वपूर्ण निर्णय न लें। लेखनकार्य के लिए अच्छा दिन है। बौद्धिक एवं तार्किक विचार विनिमय हो सकता है। किसी भी महिला के साथ विवाद में न उतरें। स्वास्थ्य अच्छा होगा। वृषभ: आज मन को स्थिर बनाए रखें। शरीर में …

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