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अफगानिस्तान: 2018 पत्रकारों के लिए सबसे ज्यादा खून-खराबे का साल, जून तक 11 की हत्या

अफगानिस्तान में बिगड़ते सुरक्षा हालात के बीच साल की पहली छमाही में 11 पत्रकारों और मीडिया कर्मियों की मौत हुई है. एक स्वतंत्र मीडिया सुरक्षा समूह ने बुधवार को यह जानकारी दी. समाचार एजेंसी सिन्हुआ से अफगान जनर्लिस्ट सेफ्टी कमेटी (एजेएससी) ने कहा, "2018 के पहले छह महीने अफगानिस्तान में मीडिया समुदाय और पत्रकारों के लिए सबसे ज्यादा खून-खराबे से भरा रहा. हिंसा और धमकी के करीब 89 मामले सामने आए, जिसमें से 11 में पत्रकारों की हत्या की गई." एक हमले में एक साथ हुई थी 9 पत्रकारों की हत्या एक जिले में आतंकवादी हमले की घटना को कवर करने के दौरान नौ संवाददाताओं के एक समूह की 30 अप्रैल को आत्मघाती विस्फोट में हत्या कर दी गई. बाद में इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली. इसी महीने में दो अन्य पत्रकारों की दक्षिणी कंधार और पूर्वी खोस्त प्रांत में गोली मारकर हत्या कर दी गई. Sharif Amiry @sharifamiry1 First half of 2018 is the bloodiest ever for journalists and media in #Afghanistan with 89 recorded cases of violence including 11 dead journalists #journalismisnotacrime The new six month report from @ajsc_afg is a gloomy read: http://bit.ly/2LppWSa 6:45 PM - Jul 18, 2018 8 See Sharif Amiry's other Tweets Twitter Ads info and privacy प्रेस सुरक्षा समूह ने बढ़ी हिंसा और इसके जारी रहने के अलावा आंतकवादी समूहों द्वारा अफगान पत्रकारों को दी जा रही धमकी को लेकर चिंता जाहिर की है. यह आतंकवादी समूह खास तौर से तालिबान और आईएस हैं. एजेएससी ने कहा, "2018 के इस समय के दौरान हिंसा की अधिकता अभूतपूर्व रही है.

अफगानिस्तान में बिगड़ते सुरक्षा हालात के बीच साल की पहली छमाही में 11 पत्रकारों और मीडिया कर्मियों की मौत हुई है. एक स्वतंत्र मीडिया सुरक्षा समूह ने बुधवार को यह जानकारी दी. समाचार एजेंसी सिन्हुआ से अफगान जनर्लिस्ट सेफ्टी कमेटी (एजेएससी) ने कहा, “2018 के पहले छह महीने अफगानिस्तान में …

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पाकिस्तान के साथ मिलकर रक्षा उपकरण बनाएगा ईरान, भारत के लिए असमंजस की स्थिति

ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर ने कहा है कि ईरान और पाकिस्तान संयुक्त रूप से रक्षा उपकरणों के निर्माण पर विचार कर रहे हैं. 'प्रेस टीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ, मेजर जनरल मोहम्मद बाकरी ने यह टिप्पणी पाकिस्तानी राष्ट्रपति मममून हुसैन के साथ इस्लामाबाद में एक बैठक के बाद की. रिपोर्ट में बाकरी के हवाले से बताया गया है कि ईरान और पाकिस्तान रक्षा उपकरणों को संयुक्त रूप से बनाने और इसे मुस्लिम राष्ट्रों की संयुक्त उपलब्धि के रूप में पेश करने के तौर पर काम कर रहे हैं. बैठक में हुसैन और बाकरी ने विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र सहित अलग-अलग क्षेत्रों में तेहरान-इस्लामाबाद संबंधों के महत्व को रेखांकित किया. वहीं, मंगलवार को बाकरी ने पाकिस्तानी नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल जफर महमूद अब्बासी के साथ बैठक की. बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने सैन्य शिक्षा, पायलट ट्रेनिंग, सैन्य अभ्यास और दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच संपर्कों सहित कई विषयों पर चर्चा की. भारत के लिए असमंजस की स्थिति आपको बता दें कि एक तरफ जहां पाकिस्तान भारत का पड़ोसी मुल्क होने के बावजूद देश का कट्टर दुश्मन है, वहीं ईरान भारत के बड़े मित्र देशों में शामिल है. ऐसे में दोनों देशों का सैन्य उपकरण बनाने के लिए साथ आना भारत के लिए असमंजस की स्थिति पैदा करने वाला हो सकता है.

ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर ने कहा है कि ईरान और पाकिस्तान संयुक्त रूप से रक्षा उपकरणों के निर्माण पर विचार कर रहे हैं. ‘प्रेस टीवी’ की रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ, मेजर जनरल मोहम्मद बाकरी ने यह टिप्पणी पाकिस्तानी राष्ट्रपति मममून हुसैन के साथ …

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Thai Cave Rescue : मौत की गुफा से निकलना चमत्कार जैसा

थाइलैंड की पानी से भरी एक गुफा में 18 दिनों तक फंसे रहने के बाद सुरक्षित निकाले गए वाइल्ड बोअर फुटबॉल टीम के बच्चों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। बुधवार को अस्पताल से बाहर आने के बाद उन्होंने पहली बार मीडिया से बातचीत की और अपने सलामत रहने को चमत्कार बताया। गुफा से निकालने के बाद बच्चों को उत्तरी थाइलैंड में चियांग राई प्रांत के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल से निकलने के समय वहां मौजूद लोगों ने बच्चों का जोरदार स्वागत किया। बाहर आने के बाद बच्चों ने एक छोटे से अस्थायी पिच पर फुटबाल खेला और उसके बाद अपनी जगह पर बैठे। थाम लुआंग गुफा में 12 बच्चे अपने फुटबॉल कोच समेत फंस गए थे। डरावनी गुफा में मौत से लड़कर निकले बच्चों ने मीडिया से बात करते हुए उन खौफनाक दिनों को याद किया। 14 साल के अदुल सैम-ऑन ने कहा कि यह एक चमत्कार है। हम लोगों के पास कई दिनों तक खाने का कोई सामान नहीं था। प्यास लगने पर बाढ़ का पानी पीना पड़ता था। उसने उस पल को भी याद किया, जब दो ब्रिटिश गोताखोरों ने उन लोगों को गुफा जाकर खोजा था। Thai Cave Rescue : गुफा से निकाले गए बच्चों के सामने अब उम्मीदों का बोझ यह भी पढ़ें उसने कहा कि मुझे उनके सवालों का जवाब देने से पहले बहुत कुछ सोचना पड़ा रहा था। टीम के एक अन्य बच्चे ने कहा कि शुरू के एक-दो दिन तो ज्यादा बुरा नहीं लगा। लेकिन, बाद में हम लोग थकने लग गए। टीम के सबसे छोटे सदस्य टाइटन ने बताया कि मैं बिल्कुल शक्तिहीन हो गया था। मैं कोशिश कर रहा था कि खाने के बारे में कुछ न सोचूं, ताकि भूख ज्यादा न लगे। एक अन्य ने कहा कि मैं तो बहुत डर गया था कि अब घर नहीं जा पाऊंगा। और यदि चला गया, तो मां से बहुत डांट पड़ेगी। इससे पहले टीम के बच्चों को तीन मिनी बसों में सवार होकर अस्पताल से निकलते देखा गया। इन बच्चों को निर्धारित समय से एक दिन पहले ही छुट्टी दे दी गई। बच्चे बुधवार को अपने-अपने घर पहुंच गए। थाइलैंड रेस्क्यू : थाई सरकार ने भारत को कहा शुक्रिया, जानिए बच्चों का हाल यह भी पढ़ें इस बीच, चिकित्सकों ने बच्चों के परिजनों से कहा है कि वे कम से कम एक महीने तक उन्हें पत्रकारों के संपर्क में नहीं आने दें। हालांकि, बताया जा रहा है कि बच्चे और उनके कोच की मानसिक और शारीरिक स्थिति ठीक है। गुफा तोड़ने का किया था प्रयास - Thai Cave Rescue : आस्ट्रेलियाई डॉक्टर की दवा ने बच्चों को निडर बनाया था यह भी पढ़ें -23 जून को फुटबॉल का प्रैक्टिस मैच खेलने के बाद वाइल्ड बोअर टीम के बच्चे अपने कोच के साथ एक घंटे के लिए गुफा में घुसे थे। -लेकिन, बारिश होने लगी और बच्चे गुफा में फंस गए। कोच एकापोल चांगथ्वांग ने बताया कि हमने गुफा को तोड़ने का प्रयास भी किया था। - थाईलैंड : 18 दिन से गुफा में फंसे बच्चे निकले सुरक्षित, 8 देशों के 90 गोताखोरों ने की मदद यह भी पढ़ें -उसने कहा कि हम लोगों ने पत्थर से गुफा की दीवार को तोड़ना शुरू किया। तीन-चार मीटर तक खोद भी डाला। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। -उसने यह भी कहा कि लगभग हर किसी को तैरना आता था। हालांकि, कुछ बच्चे अच्छे तैराक नहीं थे। इसलिए तैरकर निकलने का प्रयास नहीं किया।

थाइलैंड की पानी से भरी एक गुफा में 18 दिनों तक फंसे रहने के बाद सुरक्षित निकाले गए वाइल्ड बोअर फुटबॉल टीम के बच्चों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। बुधवार को अस्पताल से बाहर आने के बाद उन्होंने पहली बार मीडिया से बातचीत की और अपने सलामत रहने …

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पाकिस्तान में चुनावी रैली के दौरान गिरा मंच, बाल-बाल बचे नेता

पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने वाले हैं, जिसके मद्देनजर राजनैतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनाव प्रचार करने में लगी हैं. इसी दौरान पाकिस्तान के कबायली जिला मोहम्मद में जमात-ए-इस्लामी की रैली के दौरान मंच पर जमात-ए-इस्लामी के सारे बड़े-छोटे नेता मजूद थे, तभी अचानक मंच भर भराकर गिर गया. मंच जब गिरा तो किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिला. मंच पर बैठे लोग गिर गए, वहीं रैली में मौजूद लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक मंच पर वरिष्ठ नेताओं के साथ कई छोटे नेता भी मंच पर बैठ गए. स्टेज इतना वजन नहीं सह पाया और गिर गया. हालांकि मंच गिरने के कुछ ही देर बाद जमात-ए-इस्लामी के नेता अमीर सिराज उल हक सामने आए और हाथ हिलाकर उन्होंने समर्थकों को भरोसा दिलाया कि वो ठीक हैं. साथ ही उन्होंने पाकिस्तानी मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि उनके किसी भी कार्यकर्ता को गंभीर चोट नहीं आई है. उन्होंने मंच गिराने में किसी भी साज़िश को इंकार करते हुए कहा कि ज्यादा लोगों के मंच पर चढ़ने की वजह से ये हादसा हुआ. बता दें कि यह एक हफ्ते में दूसरी बार हुआ है, जब पाकिस्तानी पार्टियों की रैली के दौरान मंच गिरा है. इससे पहले 16 जुलाई को पाकिस्तान के नौशेरा में रैली के दौरान मंच गिरने पर पूर्व मुख्यमंत्री परवेज खट्टक को मामूली चोट लगी थी. गौरतलब है कि 25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनाव हैं, इन चुनावों के लिए प्रचार जोर-शोर से चल रहा है. इसी बीच ये हादसा हुआ.

पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने वाले हैं, जिसके मद्देनजर राजनैतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनाव प्रचार करने में लगी हैं. इसी दौरान पाकिस्तान के कबायली जिला मोहम्मद में जमात-ए-इस्लामी की रैली के दौरान मंच पर जमात-ए-इस्लामी के सारे बड़े-छोटे नेता मजूद थे, तभी अचानक मंच भर भराकर गिर …

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पाक के पास नहीं हैं डैम बनाने के पैसे, 30-30 रुपये के चंदे से जुटाएगा पैसा

पाकिस्तान एक परमाणु सम्पन्न देश होने का दावा करता है लेकिन आतंकवाद का पनाहगाह और संरक्षक पाकिस्तान के पास डैम बनाने के लिए पैसे नहीं हैं. पाकिस्तान के कई इलाके पानी की घोर समस्या से जूझ रहे हैं और इसके लिए वहां कई डैम बनाने की जरूरत है. लेकिन बात-बात पर हिंदुस्तान को परमाणु बम की धमकी देने वाले पाकिस्तान के पास डैम के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए इन दिनों पाकिस्तान में लोगों से चंदा इकट्ठा किया जा रहा है. हाल ही में पाकिस्तान को घोर पानी संकट से जूझ रहे विश्व के देशो में तीसरे पायदान पर रखा गया. इसके बाद पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार ने सरकार की अक्षमता, अयोग्यता और अनिक्षा को देखते हुए पाकिस्तान में दो डैम (डैमार-भाषा, 4500 मेगावाट और मोहमंद, 700 मेगावाट) बनाने के लिए लोगों से चंदा देने की अपील की. विदेशों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों से भी चंदा देने की अपील की. उदाहरण पेश करने के लिए चीफ जस्टिस ने अपनी तरफ से 10 लाख रुपये देने की घोषणा भी कर दी. आश्चर्यजनक रूप से जस्टिस निसार डैम के लिए चंदा इकट्ठा करने की तुलना भारत के साथ 1965 की लड़ाई के समय इकट्ठा किये गए चंदे से किया. जस्टिस निसार ने उम्मीद जताया कि डैम बनाने के लिए 1965 की लड़ाई के समय जैसा जूनून लोगो में दिखेगा. डैमार-भाषा डैम केपी और गिलगिट-बाल्टिस्तान और मोहमंद बांध स्वात नदी पर बनाया जाना है. पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्माण की प्रगति की निगरानी के लिए जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (Wapda) प्रमुख की अध्यक्षता में एक समिति बनाई और निर्देश दिया कि एससी के रजिस्ट्रार के साथ एक खाता खोला जाए जिसमें सभी दान एकत्र किए जाएंगे. यह भी कहा गया है कि जो लोग इस कारण के लिए दान करते हैं उनके आय के स्रोतों के बारे में नहीं पूछा जाएगा. पाकिस्तान की आर्मी ने भी अपनी तरफ से एक और दो दिन के वेतन देने की घोषणा की है. इस अपील के बाद पाकिस्तान के वित् मंत्रालय द्वारा चंदा इकट्ठा करने के लिए बैंक अकाउंट खोला गया. अप्रैल में ही पाकिस्तान सरकार ने अपने रक्षा बजट में 10 फीसदी की भारी बढ़ोत्तरी की थी. पाकिस्तान का रक्षा बजट पिछले वित्त वर्ष के दौरान 999 अरब रुपये का था, जो इस बार बढ़ाकर 11 सौ अरब रुपये कर दिया गया. लेकिन जिस तरह से डैम बनाने के लिए चंदा इक्कठा किया जा रहा है, उससे पाकिस्तान की आर्थिक कंगाली सबके सामने है. पहले अमेरिका और अब चीन के चंदे पर टिके पाकिस्तान की आर्थिक हालत जग-जाहिर हो रही है. चंदे के पैसे से डैम बनाने की करवाई को कई पाकिस्तानी शर्मनाक बता रहे हैं और इसे गलत परम्परा की शुरुआत बता रहे हैं. अब्दुल्ला अंसारी, पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और पाकिस्तान में तेल और गैस उद्योग में काम करते हैं, एक्सप्रेस ट्रिब्यून में अपने ब्लॉग में पाकिस्तान में वसूले जाने वाले टैक्स की लम्बी लिस्ट गिनाते हैं. अब्दुल्ला अंसारी के अनुसार दुर्भाग्यवश, दान के माध्यम से बांध बनाने के लिए आगे बढ़ने का तरीका सही नहीं है. इस तरह से तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक बहुत ही खतरनाक उदाहरण स्थापित करेगा. यह तरीका भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए राज्य अनिच्छा को अनुचित वैधता प्रदान करती है. इससे भी बदतर, यह उन्हें इस देश में कहर बरकरार रखने की इजाजत देता है जहां हम, नागरिक, लगातार थोड़ा और थोड़ा और आगे बढ़कर देने के लिए कहा जाता है जब तक कि हमारे पास देने के लिए कुछ भी नहीं बच जाता. खुर्रम हुसैन, डॉन अखबार में अपने लेख में लिखते हैं कि देश में आधारभूत ढांचे का निर्माण ऐसे वित्तीय जुगाड़ से नहीं किये जाते हैं. इतना बड़ा डैम भीड़ के चंदे से नहीं बनाया जा सकता. अगर इसे शर्मनाक कहें तो ये कम ही होगा. खुर्रम हुसैन के अनुसार, सार्वजनिक वित्त एक मजाक नहीं है, राज्य को दान की तरह नहीं चलाया जा सकता है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ महीनों से भारी संकट में जाती दिख रही है. पाकिस्तान के पास इस साल मई में 10.3 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जो पिछले साल मई में 16.4 अरब डॉलर था. पाकिस्तान भुगतान संतुलन के संकट से जूझ रहा है और पाकिस्तान को भुगतान-संतुलन संकट से बचने में मदद के लिए चीन ने पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर का चीनी ऋण देने का वादा किया है. सिर्फ डैम ही नहीं पाकिस्तान में एक राजनीतिक दल, जिस राज्य में उसकी सरकार थी, वहां एक अस्पताल बनाने के लिए लोगों से चंदा इकट्ठा कर रही थी. इमरान खान जनता से पेशावर में एक अस्पताल के लिए दान करने के लिए कह रहे थे और वह भी उनके नाम पर. पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (के-पी) प्रान्त में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की सरकार रहते हुए भी पार्टी के मुखिया इमरान खान एक अस्पताल बनाने के लिए लोगों से चंदा देने की अपील कर रहे थे जबकि राज्य सरकार के पास सरकारी फंड के इस्तेमाल का अधिकार था.

पाकिस्तान एक परमाणु सम्पन्न देश होने का दावा करता है लेकिन आतंकवाद का पनाहगाह और संरक्षक पाकिस्तान के पास डैम बनाने के लिए पैसे नहीं हैं. पाकिस्तान के कई इलाके पानी की घोर समस्या से जूझ रहे हैं और इसके लिए वहां कई डैम बनाने की जरूरत है. लेकिन बात-बात …

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थाईलैंड: बचाए गए बच्चे आए मीडिया के सामने

थाईलैंड में पानी से भरी गुफा से बाहर आए बच्चों और उनके कोच ने पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने उन कठिन अनुभवों को साझा किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब ‘वाइल्ड बोर्स’ के सदस्य उत्तरी थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा में अंधेरे में बिताए अपने नौ दिनों के बारे में सवालों के जवाब दे रहे थे तब वे काफी स्वस्थ नजर आ रहे थे. अंतरराष्ट्रीय बचाव दल ने उन्हें खोजा था. उन्होंने कहा कि जब टीम गुफा में अंदर फंस गई तब उसके पास खाने को कुछ नहीं था. गुफा के अंदर दीवारों से रिस रहे पानी को पीकर जिंदा रहे. इन बच्चों की कहानी जानने में लोगों की तीव्र इच्छा है. कुछ फिल्म प्रोडक्शन हाउसों की इस घटना पर हॉलीवुड फिल्म बनाने को लेकर नजर है. लेकिन डॉक्टरों ने कहा है कि अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ के बाद सभी 13 लोग सेहतमंद हैं. यहां अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद लोगों ने इन किशोरों का स्वागत किया. इन किशोरों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने से पहले एक अस्थाई मैदान में फुटबॉल भी खेला. इसी बीच डॉक्टरों ने 11-16 साल के इन बच्चों के परिवारों को सलाह दी है कि वे उन्हें कम से कम एक महीने तक पत्रकारों के संपर्क में नहीं आने दें.

थाईलैंड में पानी से भरी गुफा से  बाहर आए बच्चों और उनके कोच ने पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने उन कठिन अनुभवों को साझा किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब ‘वाइल्ड बोर्स’ के सदस्य उत्तरी थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा में अंधेरे में बिताए अपने नौ दिनों के बारे में …

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जानिए आखिर है क्या अविश्वास प्रस्ताव?

संसद के मानसून सत्र का पहला दिन और फिर गूंज उठा अविश्वास प्रस्ताव आप भी जानिए आखिर है क्या अविश्वास प्रस्ताव जिसके कारण सदन में हंगामा जारी है . क्या है अविश्वास प्रस्ताव -विपक्ष द्वारा संसद में केंद्र सरकार को गिराने या कमजोर करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव नाम का एक संसदीय प्रस्ताव रखा जाता है. यह प्रस्ताव संसदीय मतदान (अविश्वास का मतदान) द्वारा पारित या अस्वीकार किया जाता है. -गवर्नमेंट के विरूद्ध अविश्वास का प्रस्ताव तभी लाया जा सकता है, जब इसे सदन में करीब 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त हो -मौजूदा स्थिति में मोदी गवर्नमेंट के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एकजुट हुए सांसदों की संख्या 117 है - ऐसे में सदन में इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए पर्याप्त बहुमत है कटाक्ष: सदन में हंगामा भी जरुरी है भाई -अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के बाद इसे लोकसभा अध्यक्ष को स्वीकार करना होगा -यदि स्पीकर की ओर से इसे मंजूरी मिल जाती है तो 10 दिनों के अंदर इस पर सदन में चर्चा करनी होगी -चर्चा के बाद लोकसभा अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है -केंद्र गवर्नमेंट को गिराना विपक्ष के लिए कठिन है मानसून सत्र की हंगामेदार शुरुआत - ऐसा इसलिए क्योंकि गवर्नमेंट गिराने के लिए उन्हें कुल 269 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता है -लेकिन सदन में अकेले भाजपा के पास ही बहुमत की 269 सीटों से भी ज्यादा सीटें मौजूद हैं -संसद में सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव अगस्त 1963 में तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू की गवर्नमेंट के विरूद्ध पेश किया गया था.

संसद के मानसून सत्र का पहला दिन और फिर गूंज उठा अविश्वास प्रस्ताव आप भी जानिए आखिर है क्या अविश्वास प्रस्ताव जिसके कारण सदन में हंगामा जारी है .  क्या है अविश्वास प्रस्ताव  -विपक्ष द्वारा संसद में केंद्र सरकार को गिराने या कमजोर करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव नाम का …

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दिग्विजय धोखेबाज और कांग्रेस देशद्रोही : शिवराज

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह पर करारा हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि दिग्विजय सिंह देशद्रोही श्रेणी के नेता है. जबकि कांग्रेस को लेकर चौहान ने कहा कि वह एक धोखेबाज पार्टी है. मप्र के …

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कांग्रेस वर्किंग कमेटी से नदारद दिग्विजय का संन्यास पर बयान

कांग्रेस वर्किंग कमेटी से नदारद दिग्विजय का संन्यास पर बयान

कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को जगह नहीं दी गई जिसके बाद उनका रिएक्शन आया. उन्होंने कहा कि वह चाहे कहीं भी रहें, नफरत की राजनीति के खिलाफ लड़ते रहेंगे. उन्होंने भावुक अंदाज में कहा कि पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया …

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टीएमसी सांसद अवैध सिंडिकेट वसूली पर बात करते हुए कैमरे की निगाहों में

टीएमसी सांसद अवैध सिंडिकेट वसूली पर बात करते हुए कैमरे की निगाहों में

टीएमसी के कुछ नेता अवैध सिंडिकेट वसूली का पक्ष लेते हुए कैमरे की निगाहों में आ गए है. टीएमसी की राज्यसभा सांसद डोला सेन ने पार्टी कार्यकताओं से कहा, ‘हम 21 जुलाई के बाद वापस आएंगे. हिसाब होगा कि अब तक तुमने कितना (पैसा) जमा किया है, कितना बैंकों में …

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