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सीसीटीवी मुद्दे पर CM केजरीवाल ने PM मोदी को लिखा खत, पूछा- कमेटी आखिर करेगी क्या?

केजरीवाल ने अपने खत में आरोप लगाते हुए लिखा है कि एलजी ने दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक की फाइल भी रोकी थी, जिसकी वजह से डेढ़ साल तक दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक नहीं बन पाए।

दिल्ली में सीसीटीवी लगाने के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (AAP), भाजपा और कांग्रेस आपस में ही भिड़ गई हैं। एक ओर जहां भाजपा और कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार पर सीसीटीवी प्रोजेक्ट का ठेका देने को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, वहीं अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में प्रधानमंत्री …

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‘केजरीवाल ने पैसों के लिए देश बेचा, चिप के जरिये पड़ोसी देश चीन लगा सकता है सुरक्षा में सेंध’

वहीं, अन्य दिग्गज कांग्रेस नेता अरविंद सिंह लवली ने कहा कि इस सरकार के मंत्री ने चीख-चीख कर बताया कि पीएसयू को टेंडर दिया गया है, लेकिन सरकार की नियत सही नहीं है। बेल तो सिर्फ चेहरा है hikvision से ही मूल बात हो रही थी। इस सरकार का एक भी दिन सत्ता में रहना देश और दिल्ली के लिए ठीक नहीं है। पत्रकार वार्ता में मौजूद वक्ताओं में से एक पूर्व मंत्री हारुन यूसुफ ने कहा कि दिल्लीवालों के लिए ये गंभीर मामला है। सिर्फ भृष्टचार ही नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा से सौदा हुआ है। इससे पहले बुधवार को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री एके वालिया, हारुन युसूफ और अरविंदर सिंह लवली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए सार्वजनिक सेक्टर की कंपनी के साथ जिस प्राइवेट कंपनी का करार है, उसका नाम 24 घंटे के अंदर उजागर किया जाए। ऐसा नहीं करने पर कांग्रेस उस कंपनी का नाम सार्वजनिक करेगी, जिसे आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार सार्वजनिक सेक्टर की कंपनी के द्वारा फायदा पहुंचाना चाह रही थी।

दिल्ली में सत्तासीन अरविंद केजरीवाल सरकार पर सीसीटीवी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगा है। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के बाद अब कांग्रेस ने भी आक्रामक रुख अपनाते हुए आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने …

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माल्या के खिलाफ छोटी कामयाबी से खुश न हो बैंक

किंगफिशर के मालिक और शराब व्यापारी भगौड़े विजय माल्या के खिलाफ ब्रिटेन के हाई कोर्ट में भारतीयों बैंकों ने भले ही केस जीत लिया हो, लेकिन बैंकों के लिए आगे बड़ी बाधाएं मौजूद हैं. उल्लेखनीय है कि कोर्ट के जज ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि माल्या के खिलाफ भारतीय कोर्ट के फैसले कानूनी रूप से इंग्लैंड और वेल्स में मौजूद उनकी संपत्तियों पर लागू हो सकते हैं. फैसले में कहा गया है कि विजय माल्या पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का बैंक लोन है. हाई कोर्ट के प्रवर्तन अधिकारी अब इंग्लैंड और वेल्स स्थित उनकी संपत्तियों से कर्ज की उगाही कर सकते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी में कहा गया है कि ब्रिटेन में मौजूद माल्या की कई संपत्तियों के अस्पष्ट और पेचीदा स्वरूप वाले स्वामित्व के कारण बैंकों के लिए यह पता लगाना कि वे संपत्तियां उनकी हैं या नहीं, बेहद निराश कर देने वाला प्रयास है. लंदन हाई कोर्ट में बैंकों का प्रतिनिधित्व कर रहे निगेल तोजी क्यू सी द्वारा कोर्ट में सौंपे गए निवेदन में कहा गया है, 'लोग मानते हैं कि माल्या पेचीदे स्वामित्व के नेटवर्क के जरिए ब्रिटेन में संपत्तियों के मालिक बने हुए हैं. उन्होंने दबाव डालने पर भी अपनी संपत्तियों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी है.' हाई कोर्ट ने कहा है कि भारतीय शराब कारोबारी विजय माल्या को ‘कानून से भगोड़ा’ करार दिया जा सकता है. संकट में फंसा यह उद्योगपति भारत में धोखाधड़ी व मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों का सामना कर रहा है. हाई कोर्ट के जज एंड्रयू हेनशॉ ने इस बात का संज्ञान लिया कि माल्या ‘वित्तीय गड़बड़ियों’ के लिए भारत को प्रत्यर्पित किए जाने का विरोध कर रहा है.किंगफिशर के मालिक और शराब व्यापारी भगौड़े विजय माल्या के खिलाफ ब्रिटेन के हाई कोर्ट में भारतीयों बैंकों ने भले ही केस जीत लिया हो, लेकिन बैंकों के लिए आगे बड़ी बाधाएं मौजूद हैं. उल्लेखनीय है कि कोर्ट के जज ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि माल्या के खिलाफ भारतीय कोर्ट के फैसले कानूनी रूप से इंग्लैंड और वेल्स में मौजूद उनकी संपत्तियों पर लागू हो सकते हैं. फैसले में कहा गया है कि विजय माल्या पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का बैंक लोन है. हाई कोर्ट के प्रवर्तन अधिकारी अब इंग्लैंड और वेल्स स्थित उनकी संपत्तियों से कर्ज की उगाही कर सकते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी में कहा गया है कि ब्रिटेन में मौजूद माल्या की कई संपत्तियों के अस्पष्ट और पेचीदा स्वरूप वाले स्वामित्व के कारण बैंकों के लिए यह पता लगाना कि वे संपत्तियां उनकी हैं या नहीं, बेहद निराश कर देने वाला प्रयास है. लंदन हाई कोर्ट में बैंकों का प्रतिनिधित्व कर रहे निगेल तोजी क्यू सी द्वारा कोर्ट में सौंपे गए निवेदन में कहा गया है, 'लोग मानते हैं कि माल्या पेचीदे स्वामित्व के नेटवर्क के जरिए ब्रिटेन में संपत्तियों के मालिक बने हुए हैं. उन्होंने दबाव डालने पर भी अपनी संपत्तियों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी है.' हाई कोर्ट ने कहा है कि भारतीय शराब कारोबारी विजय माल्या को ‘कानून से भगोड़ा’ करार दिया जा सकता है. संकट में फंसा यह उद्योगपति भारत में धोखाधड़ी व मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों का सामना कर रहा है. हाई कोर्ट के जज एंड्रयू हेनशॉ ने इस बात का संज्ञान लिया कि माल्या ‘वित्तीय गड़बड़ियों’ के लिए भारत को प्रत्यर्पित किए जाने का विरोध कर रहा है.

किंगफिशर के मालिक और शराब व्यापारी भगौड़े विजय माल्या के खिलाफ ब्रिटेन के हाई कोर्ट में भारतीयों बैंकों ने भले ही केस जीत लिया हो, लेकिन बैंकों के लिए आगे बड़ी बाधाएं मौजूद हैं. उल्लेखनीय है कि कोर्ट के जज ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि माल्या के …

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राष्ट्रपति कोविंद आज सियाचिन दौरे पर

14 सालों बाद एक बार फिर जम्मू कश्मीर के सियाचिन का दौरा करंगे. 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम में सियाचिन दूर किया था, जिसके बाद से कोई भारतीय राष्ट्रपति सियाचिन नहीं गया है. लेकिन आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, सियाचिन स्थित सेना के बेस कैंप का दौरा करेंगे. इसके बाद वह 13 और 14 मई को राजस्थान में रहेंगे, अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान वह अजमेर दरगाह पर जियारत करने पहुंचेंगे. इस दौरान राष्ट्रपति के जयपुर में बिड़ला ऑडिटोरियम में एक समारोह में भी भाग लेने की संभावना है. राष्ट्रपति भवन से मिली जानकारी के मुताबिक आज राष्ट्रपति सेना के बेस कैंप में जाकर जवानों से चर्चा करेंगे, राष्ट्रपति कोविंद अपने दौरे के दौरान कुमार पोस्ट भी जाएंगे. गौरतलब है कि सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है, जहां जवानों को दुश्मन के साथ-साथ मौसम से भी जूझना पड़ता है. सियाचिन की ऊंचाई 22,000 फीट है (विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 29,000 फीट है) और तापमान न्यूनतम से 45 डिग्री सेल्सियस से भी कम रहता है. इससे पहले राष्ट्रपति कोविंद अरुणाचल प्रदेश में भी जवानों की हौसला-अफ़ज़ाई के लिए जा चुके हैं, उनकी इस यात्रा पर चीन ने आपत्ति भी दर्ज कराइ थी, . तब चीन ने कहा था कि भारत को ऐसे समय में सीमा विवाद को ‘जटिल बनाने’ से बचना चाहिए जब दोपक्षीय रिश्ते ‘निर्णायक क्षण’ में हों.

14 सालों बाद एक बार फिर जम्मू कश्मीर के सियाचिन का दौरा करंगे. 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम में सियाचिन दूर किया था, जिसके बाद से कोई भारतीय राष्ट्रपति सियाचिन नहीं गया है. लेकिन आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, सियाचिन स्थित सेना के बेस कैंप का दौरा करेंगे.  इसके …

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PWD घोटाले में केजरीवाल का रिश्तेदार गिरफ्तार

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के दिवंगत साढ़ू सुरेंद्र कुमार बंसल के बेटे विनय बंसल को दिल्ली की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) घोटाले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने विनय बंसल से महादेव कंपनी के बारे में पूछताछ की, जिससे कच्चा माल खरीदने का दावा किया गया था. छानबीन के दौरान पता चला कि महादेव नाम की कोई कंपनी अस्तित्व में है ही नहीं. वहीँ दिल्ली सरकार ने विनय बंसल की गिरफ्तारी को राजनीतिक बदले की भावना के तहत किया गया बताया है. गौरतलब है कि इससे पहले केजरीवाल के साढ़ू सुरेंद्र बंसल पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, वह भी पीडब्ल्यूडी में अनियमितता के घेरे में थे, लेकिन पिछले वर्ष उनकी मृत्यु हो जाने के बाद से केस बंद हो गया था. दिवंगत सुरेंद्र बंसल पर आरोप था कि सुरेंद्र बंसल की कंपनी ने रोड और सीवर के ठेकों में अनियमितता की थी और फर्जी बिल लगाकर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया था. विनय बंसल अपने पिता की कंपनी रेणु कंस्ट्रक्शन में पार्टनर हैं. यह कंपनी घोटालों को लेकर जांच के दायरे में है. एसीबी ने 8 मई 2017 को केजरीवाल और अन्य के खिलाफ 3 एफआईआर दर्ज कराइ थी, जिसके मुताबिक बंसल की कंपनी रेणु कंस्ट्रक्शन को सड़क और सीवर निर्माण के लिए अवैध तरीके से ठेके दिए गए थे.एंटी करप्शन आर्गेनाईजेशन के संयोजक राहुल शर्मा ने तो केजरीवाल पर बंसल के 10 करोड़ रु मूल्य के जाली बिल पास करने का आरोप भी लगाया था.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के दिवंगत साढ़ू सुरेंद्र कुमार बंसल के बेटे विनय बंसल को दिल्ली की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) घोटाले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने  विनय बंसल से महादेव कंपनी के बारे में पूछताछ की, जिससे कच्चा माल …

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104 साल के वैज्ञानिक ने इच्छामृत्यु से दुनिया को कहा अलविदा

जीने की इच्छा छोड़ चुके ऑस्ट्रेलिया के सबसे उम्रदराज वैज्ञानिक ने गुरुवार को इच्छामृत्यु के जरिए दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी मदद करने वालेएक फाउंडेशन ने यह जानकारी दी। 104 वर्षीय डेविड गुडॉल को अपने देश में आत्महत्या के लिए मदद मांगने से रोक दिया गया था जिसके बाद वह स्विट्जरलैंड रवाना हो गए थे। वह किसी असाध्य रोग से ग्रस्त नहीं थे लेकिन उनका कहना था कि उनकी जिंदगी में अब कुछ जीने लायक नहीं रहा है और वह मरना चाहते हैं। एग्जिट फाउंडेशन के संस्थापक फिलिप ने बताया कि लंदन में जन्मे वैज्ञानिक ने बसेल में अंतिम सांस ली। अपने अंतिम समय में उन्होंने बीथोवन का गाना भी सुना। 1914 में लंदन में जन्मे गुडॉल बचपन में ही अपने परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया आ गए थे। मृत्यु के लिए मिलना चाहिए छूटगुडॉल ने लोगों से आखिरी बार भेंट करते हुए कहा था, "अब मैं और जीना नहीं चाहता हूं। मेरी उम्र का या मुझसे छोटा कोई भी शख्स अगर मरना चाहता है तो उसे इसके लिए छूट मिलना चाहिए।" उन्होंने कहा था कि वह ऑस्ट्रेलिया में जीवन का अंत करना चाहते थे लेकिन इस मामले में उनका देश स्विट्जरलैंड से काफी पीछे है। आत्महत्या की कोशिश में असफल थे गुडॉल ने अपने ही देश में आत्महत्या करने की कोशिश की थी लेकिन इसमें वह असफल रहे थे। इसके बाद उन्होंने बसेल में फाउंडेशन से जल्द इच्छामृत्यु पाने के लिए समय लिया। इस तरह की इच्छामृत्यु के लिए शख्स को यहां निर्धारित कदम उठाने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम होना चाहिए। गुडॉल ने भी ऐसा ही कुछ किया। उन्होंने खुद ही यहां दिया गया वॉल्व खोला जिससे निर्धारित सॉल्यूशन उनके शरीर में चले गए। मिली थी 20 हजार डॉलर की मदद 12 नाती-पोतियों के दादा गुडॉल को योरप से स्विट्जरलैंड जाने के लिए 20 हजार डॉलर का दान भी मिला। वह बीते सप्ताह ऑस्ट्रेलिया से रवाना हो गए थे। सोमवार को बसेल पहुंचने से पहले उन्होंने फ्रांस में अपने परिजनों से भी मुलाकात की। बुधवार को भी दोबारा उनसे इच्छामृत्यु को लेकर विचार बदलने संबंधित सवाल किए गए थे लेकिन गुडॉल ने अपना विचार नहीं बदला। कई देशों में रोक गौरतलब है कि कई देशों में मदद के जरिए इच्छामृत्यु करने पर रोक है। ऑस्ट्रेलिया में भी इसे अवैध माना जाता है। हालांकि विक्टोरिया राज्य में इसे अनुमति दी गई लेकिन वहां यह कानून जून 2019 से प्रभावी होगा। यह केवल उन लोगों के लिए होगा जिनकी जीवन प्रत्याशा छह महीने से भी कम है।

जीने की इच्छा छोड़ चुके ऑस्ट्रेलिया के सबसे उम्रदराज वैज्ञानिक ने गुरुवार को इच्छामृत्यु के जरिए दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी मदद करने वालेएक फाउंडेशन ने यह जानकारी दी। 104 वर्षीय डेविड गुडॉल को अपने देश में आत्महत्या के लिए मदद मांगने से रोक दिया गया था जिसके बाद …

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अमेरिकी एयरपोर्ट पर उतारी सिख मंत्री की पगड़ी, बाद में मांगी माफी

अमेरिकी एयरपोर्ट पर अब तक कई बार भारत के फिल्म स्टार्स के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं हुई हैं लेकिन इस बार वहां कनाडा के एक सिख मंत्री के साथ ऐसी घटना हुई है। खबरों के अनुसार अमेरिका के डेट्राइट एयरपोर्ट पर कनाडा के सिख मंत्री को जांच के नाम पर उनकी पगड़ी उतरने को मजबूर किया गया। हालांकि, मामला गर्माने के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने इसके लिए माफी मांगी है। जानकारी के अनुसार कनाडा के नवाचार (इनोवेशन) मंत्री नवदीप बैंस का आरोप है कि पिछले साल यात्रा के दौरान हवाई अड्डे पर सुरक्षाकर्मियों ने उनके साथ गलत व्यवहार किया था। उन्होंने बताया कि उन्हें गेट से वापस बुलाकर दोबारा सुरक्षा जांच के लिए लाया गया, जहां उनसे उनकी पगड़ी उतारने को कहा गया। बैंस ने बताया कि अधिकारियों ने राजनयिक पासपोर्ट दिखाने के बाद ही उन्हें विमान पर सवार होने दिया। बता दें कि इस घटना के सामने आने के बाद कनाडा ने अमेरिका से शिकायत की थी, जिसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने फोन कर माफी मांग ली थी। कपड़े उतारने जैसा था पगड़ी उतारने को कहना उन्होंने कनाडा के फ्रांसीसी भाषा के समाचार पत्र ला प्रेसे को बताया कि 'इस अनुभव ने मुझे असहज बना दिया।' उन्होंने कहा कि डेट्राइट हवाई अड्डे पर जब उन्होंने पगड़ी उतारने से जब मना किया तो वहां मौजूद सुरक्षा अधिकारी 'बेहद जोर दे रहे थे और जिद कर रहे थे।' उन्होंने कहा कि पगड़ी उतारना मानों मेरे शरीर से कपड़े उतारने जैसा है। बैंस ने दावा किया कि मेटल डिटेक्टर से गुजरने के बाद उनकी पगड़ी के कारण सुरक्षा गार्डों ने उनकी विशेष जांच की थी। मैंने माफ कर दिया उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने खेद व्यक्त किया है और मुझसे माफी मांगी है। उन्होंने उनकी माफी स्वीकार भी कर ली है। उन्होंने कहा, मैं बहुत निराश और हताश था, लेकिन आखिरकार मुझे उड़ाने भरने की इजाजत दी गई। बैंस ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ जब अमेरिका की यात्रा के दौरान मुझसे पगड़ी उतारने के लिए कहा गया। सिख धर्म में पुरुषों को पगड़ी पहनने की मान्यता है। पहचान बताने के बाद मिली उड़ान की इजाजत उन्होंने अखबार को बताया, 'मैंने उन्हें नहीं बताया कि मैं कौन हूं क्योंकि मैं देखना चाहता था कि आम लोग, जो मंत्री या सांसद नहीं हैं, उनके लिए ये अनुभव कैसा होता है।' उन्होंने बताया कि पहली बार मेटर डिटेक्टर में कुछ गड़बड़ी के कारण सायरन बज गया था, लेकिन वे दूसरी बार मेटल डिटेक्टर से गुजरे तो सब ठीक रहा और वे गेट की तरफ चले गए। लेकिन गेट के पास खड़े एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें रोक लिया और दोबारा सुरक्षा जांच के लिए कहा। फिर उनके पगड़ी उतारने को कहा गया। इसके बाद उन्होंने अपना राजयनिक पासपोर्ट दिखाया और कनाडा के अधिकारी के तौर पर अपनी पहचान पुख्ता की। अमेरिकी अधिकारियों ने कनाडा से मांगी माफी इस घटना के सामने आने के बाद कनाडा की विदेश मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क किया, जिन्होंने फोन पर कनाडा से माफी मांगी

अमेरिकी एयरपोर्ट पर अब तक कई बार भारत के फिल्म स्टार्स के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं हुई हैं लेकिन इस बार वहां कनाडा के एक सिख मंत्री के साथ ऐसी घटना हुई है। खबरों के अनुसार अमेरिका के डेट्राइट एयरपोर्ट पर कनाडा के सिख मंत्री को जांच के नाम पर …

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ट्रंप और किम ने मुलाकात के लिए सिंगापुर को ही क्यों चुना?

तमाम कड़वाहट और धमकी भरे बयानों के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन एक दूसरे से मिलने जा रहे हैं. मुलाकात का वक्त, तारीख और जगह मुकर्रर हो गई है. डोनाल्ड ट्रंप ने खुद बताया कि यह बैठक 12 जून को सिंगापुर में होगी. दोनों नेताओं की इस बहुप्रतीक्षित मीटिंग को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे थे. मीटिंग होगी, ये तो तय हो चुका था, लेकिन कब और कहां होगी इसे लेकर संशय बना हुआ था. आखिरकार ये सस्पेंस भी खत्म हो गया. लेकिन दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति और सबसे चर्चित तानाशाह के रूप में पहचाने जाने वाले किम जोंग उन की बैठक के लिए सिंगापुर को ही क्यों चुना गया, इसके पीछे भी कई कारण हैं. - दोनों देशों के सिंगापुर से अच्छे संबंध सिंगापुर अतीत में भी हाई प्रोफाइल राजनयिक मुलाकातों का गवाह रहा है. वहीं, अमेरीका और सिंगापुर के बीच गहरे संबंध है. जॉर्ज डब्ल्यू बुश के शासनकाल में अमेरिका और सिंगापुर के बीच मुक्त व्यापार समझौता हुआ था. इसके बाद 2012 में ओबामा प्रशासन ने सिंगापुर को स्ट्रैटेजिक पार्टनर के रूप में भी स्वीकार किया. इसके तीन साल बाद दोनों देशों के बीच सुरक्षा समझौते भी हुए, जो दोनों मुल्कों के मजबूत रिश्तों को दर्शाता है. वहीं, सिंगापुर का उत्तर कोरिया के साथ भी राजनयिक संबंध रहा है. दोनों देशों के बीच 1975 में राजनयिक संबंधों की शुरुआत हुई थी. सिंगापुर में नॉर्थ कोरिया की एंबेसी भी है. हालांकि, नवंबर 2017 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को और कड़ा किए जाने के बाद सिंगापुर ने उत्तर कोरिया से सभी व्यापारिक संबंध तोड़ लिए थे, लेकिन मौजूदा वक्त में भी दोनों देशों के बीच हालात सामान्य हैं. -सिंगापुर एक न्यूट्रल जगह यूएस के विदेश सचिव माइक पॉम्पियो और व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टॉफ जॉन केली ने सिंगापुर को ही मुलाकात के लिए सबसे मुफीद जगह के रूप चुना, जिसकी सबसे बड़ी वजह एक न्यूट्रल मुल्क में दोनों नेताओं की मुलाकात कराना था. सिंगापुर न सिर्फ लोकेशन बल्कि विचारधारा और भूगोल के लिहाज से भी अमेरिका के लिए सबसे सुखद जगह मानी जा रही है. सिंगापुर में फिलहाल पीपुल्स एक्शन पार्टी की सरकार है, जिसका वैचारिक झुकाव सेंट्रल से राइट माना जाता है. डोनाल्ड ट्रंप स्वयं राइट विंग पॉलिटिक्स करते हैं. - किम का सफर आसान इस बात की भी चर्चा है कि उत्तर कोरिया के आउट-डेटेड प्लेन से किम जोंग का लंबी दूरी तय करना आसान नहीं है. जिसके चलते राजनयिक मुलाकात होस्ट करने वाले स्वीडन और स्विट्जरलैंड जैसे देश इस लिस्ट से बाहर हो गए. हालांकि, इससे पहले मंगोलिया के नाम पर भी चर्चा हुई थी. लेकिन अमेरिका के चिर प्रतिद्वंदी चीन और रूस से घिरा यह देश ट्रंप के लिए उतना मुफीद नहीं माना गया, जितनी सहमति सिंगापुर को लेकर बनी. माना जा रहा है कि सिंगापुर को होस्ट चुने जाने के पीछे ये भी एक वजह बनी. सिंगापुर जहां ट्रंप और किम जोंग उन की मुलाकात के लिए सबसे बेहतर एशियाई मुल्क बताया जा रहा है, वहीं इसका अतीत भी एक बैठक की बड़ी वजह बना है. इस दक्षिण-पूर्व एशियाई शहर में 2015 में चीन और ताइवान के नेताओं के बीच ऐतिहासिक वार्ता हुई थी, जो दोनों देशों के बीच 60 सालों में पहली बार हुई थी. ऐसी ही मुलाकात अब अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के बीच होने जा रही है. बता दें कि अमेरिका के किसी राष्ट्रपति की नॉर्थ कोरिया के शासक से ये पहली मुलाकात है, जिस पर पूरी दुनिया की नजर है.

तमाम कड़वाहट और धमकी भरे बयानों के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन एक दूसरे से मिलने जा रहे हैं. मुलाकात का वक्त, तारीख और जगह मुकर्रर हो गई है. डोनाल्ड ट्रंप ने खुद बताया कि यह बैठक 12 जून को सिंगापुर …

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जनकपुर-अयोध्या बस सेवा शुरू, PM मोदी बोले- ऐतिहासिक कदम, बढ़ेगा टूरिज्म

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर नेपाल में हैं. शुक्रवार सुबह 10.30 बजे नेपाल के जनकपुर पहुंचे पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया गया. इसके बाद प्रधानमंत्री सीधे जानकी मंदिर रवाना हुए, जहां उन्होंने विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की. पूजा के बाद पीएम मोदी ने भाषण दिया और जनकपुर-अयोध्या के बीच मैत्री बस सेवा का शुभारंभ किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जनकपुर का नाता अटूट है और मैं सौभाग्यशाली हूं, जो माता जानकी के चरणों में आने का मौका मिला. पीएम ने बताया ऐतिहासिक पल पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'ये ऐतिहासिक पल है कि नेपाल के प्रधानमंत्री स्वयं काठमांडू से यहां आए और मेरा स्वागत-सम्मान किया. मैं नेपाल सरकार का, राज्य सरकार और नगर सरकार का और आदरणीय पीएम का आभार व्यक्त करता हूं. नेपाल ने जो सम्मान दिया है, वो हजारों वर्षों की परंपरा और सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों का सम्मान है.' इससे आगे पीएम मोदी ने कहा, 'सबसे ज्यादा ग्रोथ आज के वक्त में टूरिज्म का है. रामायण सर्किट दोनों देशों के करोड़ों यात्रियों के लिए एक बड़ी मिसाल है. इससे टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा. दोनों देश मिलकर इसे प्रारंभ कर रहे हैं. आज जनकपुर-अयोध्या सीधी बस सेवा का प्रारंभ हो रहा है, मैं इसके लिए भी नेपाल के पीएम का आभार व्यक्त करता हूं. दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंधों को बढ़ाने में यह कदम काफी अहम रहेगा.' बतौर प्रधानमंत्री ये नरेंद्र मोदी का तीसरा नेपाल दौरा है. उन्होंने कहा कि मेरे लिए खुशी की बात है कि जिस यूपी के बनारस ने मुझे प्रधानमंत्री बनाया और उसी यूपी के अयोध्या से जनकपुर की बस सर्विस शुरू हो रही है. इससे पहले जब पीएम मोदी जानकी मंदिर की ओर गए तो रास्ते में लोग भारत और नेपाल का झंडा लेकर खड़े नजर आए. इतना ही नहीं वहां मोदी-मोदी और जानकी माता की जय के नारे भी लगाए गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर नेपाल में हैं. शुक्रवार सुबह 10.30 बजे नेपाल के जनकपुर पहुंचे पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया गया. इसके बाद प्रधानमंत्री सीधे जानकी मंदिर रवाना हुए, जहां उन्होंने विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की. पूजा के बाद पीएम मोदी ने भाषण दिया और …

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अमरीकी-दक्षिण कोरियायी विदेश मंत्रियों की मुलाकात

साउथ कोरिया की समाचार एजेंसी योन्हाप की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण कोरिया की विदेश मंत्री कांग क्युंग वा अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ से दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच होने वाले सम्मेलन की तैयारियों के मद्देनजर वॉशिंगटन में मुलाकात करेंगी. यह कांग की माइक पॉम्पिओ के साथ पहली आधिकारिक मुलाकात होगी. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेइन और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और ट्रंप के बीच होने वाली मुलाकात से पहले 22 मई को मुलाकात करेंगे. दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि कांग और पॉम्पिओ हाल ही में हुए अंतरकोरियाई सम्मेलन के नतीजों पर चर्चा करेंगे, जिसमें सभी पक्ष कोरियाई प्रायद्वीप के परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए काम करने पर सहमत हुए थे. दोनों नेता अपनी वार्ता के अंत में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे. बता दें कि कुछ दिनों पहले ही नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन और साउथ कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन के बीच ऐतिहासिक मुलाकात हुई थी. इसके साथ ही अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच प्रस्तावित शिखर वार्ता से पहले कूटनीतिक रिश्तों में आई सरगर्मियों के बीच अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ बुधवार को उत्तर कोरिया पहुंचे थे. पोम्पिओ कुछ ही हफ्ते के अंतराल पर दूसरी बार यहां पहुंचे थे. फ़िलहाल तीनों देशों के रिश्तों में लगातार सुधार का दौर जारी है.

साउथ कोरिया की समाचार एजेंसी योन्हाप की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण कोरिया की विदेश मंत्री कांग क्युंग वा अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ से दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच होने वाले सम्मेलन की तैयारियों के मद्देनजर वॉशिंगटन में मुलाकात करेंगी. यह कांग की माइक पॉम्पिओ के साथ पहली …

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