श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम पूरे देश में दिखाई दे रही है। लोगों ने आज व्रत किया हुआ है और आधी रात को कान्हा के जन्म की तैयारी चल रही है। लेकिन कृष्ण जन्माष्टमी पर हम आपको कुछ नया बताएंगे। यह त्योहार आने पर हमारे सामने तस्वीर उभरती है मथुरा वृंदावन की। जहां कृष्ण ने जन्म लिया और खेले कूदे। लेकिन उत्तर प्रदेश में एक जिला ऐसा भी है जहां कृष्ण के जन्मोत्सव को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। लोग काफी उत्साहित होते हैं और कान्हा को अपने घर आमंत्रित करते हैं। यह कौन सा है जिला और क्यों है इसका महत्व। आइए जानते हैं।
यूपी का औरेया जिला है खास
कान्हा के जीवन में मथुरा और वृंदावन के अलावा कई जगहों का खास महत्व है। जैसे द्वारका और हस्तिनापुर। कुरुक्षेत्र और जहां-जहां वे गए। उनकी जिंदगी कई कलाओं से भरी पड़ी है। जिसे लोग जानने की कोशिश में जुटे रहते हैं। अब उत्तर प्रदेश के औरेया जिले में एक गांव है जो कृष्ण से जुड़ा है। लेकिन इसके बारे में कम लोगों को पता है। बताया जाता है कि यह कृष्ण का ससुराल है। इसे कुदरकोट कहते हैं। पहले यह कुंदनपुर था। नाम बदलने के पीछे भी एक बड़ा कारण है।
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पत्नी रुक्मणी से जुड़ा है गांव
श्रीकृष्ण की लीलाओं को समझ पाना मुश्किल था। उन्होंने अपने जीवन में जितनी लीलाएं दिखाईं उससे आज आम इंसान अपने आप को करीब पाता है। जैसे उनका विवाह रुक्मणी से हुआ था। उन्होंने उनका हरण किया था और उनके घर से ले आए थे। बताया जाता है कि द्वापर युग में उत्तर प्रदेश् में औरेया जिले के कुदरकोट कस्बे को पहले कुंदनपुर कहा जाता था। यह रुक्मणी के पिता राजा भीष्मक के राज्य की राजधानी कही जाती थी। राजा अपनी बेटी का विवाह कृष्ण से करना चाहते थे लेकिन रुक्मणी के भाई रुकुम ने अपने साले शिशुपाल से रुक्मणी का विवाह तय कर दिया था। तब कृष्ण ने रुक्मणी को मंदिर से हरण कर लिया और अपने साथ ले गए। यहां रुक्मणी गौरी पूजा करती थीं। बताते हैैं कि मंदिर के रुक्मणी को ले जाने के बाद गौरी की प्रतिमा भी गायब हो गई जिससे मंदिर को अब अलोपा देवी मंदिर कहा जाता है। रुक्मणी के हरण की खबर पाते ही रुकुम गुस्सा हो गया और मंदिर में गए सिपाहियों को हाथियों से कुचला और कुंदनपुर से नाम कुदरकोट हो गया। जन्माष्टमी पर पूरा गांव अपने दामाद का जन्मोत्सव मनाता है। यहां काफी धूमधाम से त्योहार होता है।
GB Singh