एनटीपीसी हादसे के बाद ट्रॉमा सेंटर समेत लखनऊ के प्रमुख अस्पतालों में अलर्ट घोषित कर दिया गया था। हादसे के बाद गंभीर रूप से झुलसे मरीजों को लेकर कई एंबुलेंस लखनऊ की ओर भागीं। मुख्यमंत्री ने इंतजामों को दुरुस्त रखने का आदेश भी दिया था । फिर भी ट्रॉमा में बदइंतजामी हावी रही।
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एंबुलेंस से मरीजों को उतारने के लिए सिक अटेंडेंट नदारद दिखे। रात 10:56 पर एक एंबुलेंस दो मरीजों को लेकर ट्रॉमा पहुंची लेकिन यहां मरीज को उतारने के लिए कोई स्वास्थ्य विभाग का कर्मी नहीं दिखा। इस दौरान कुछ देर तक मरीज एंबुलेंस में लेटा रहा। इसके थोड़ी ही देर बाद दूसरी एंबुलेंस भी मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंची।
इसी बीच वहां खड़े कुछ सिपाहियों और कुछ मरीजों के तीमारदार व ट्रॉमा सेंटर में तैनात गार्ड भी आगे आए और मरीजों को अंदर ले गए और भर्ती कराया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मी नदारद ही रहे। रायबरेली के ऊंचाहार में हुई घटना के बाद जैसे ही मरीजों को लेकर पहली एंबुलेंस आई, केजीएमयू प्रशासन सक्रिय हो उठा। केजीएमयू प्रशासन ने घायलों के उपचार के लिए विशेष व्यवस्था कर दी।
बेड आरक्षित करने के साथ ही ट्रॉमा सर्जरी, जनरल सर्जरी, एनीस्थीसिया और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के 50 से अधिक डॉक्टर और अन्य स्टाफ को घायलों के उपचार के लिए लगाया गया है। एनटीपीसी में घटनास्थल पर गर्म राख की वजह से सर्च ऑपरेशन में काफी मुश्किलें आईं। राख को ठंडा करने के लिए कई दमकल गाड़ियां लगाई गईं। आशंका है कि काफी लोग इसी राख में दबे हो सकते हैं। यहां पर तीन शिफ्टों में काम कराया जाता है।
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