हर कोई बचपन से या बड़े हो कर जीवन में कुछ न कुछ करने का सपना देखता है और सोचता है कि कुछ अपना नाम रोशन करे। हालांकि तब बहुत दुख होता है जब किस्मत आपसे रूठ जाए और आपके सपने सच होने न दे। ऐसा ही कुछ पैराओलंपिक के एक भारतीय एथलीट के साथ में हुआ। उस एथलीट का नाम सुमित अंतिल है। वे एक पहलवान के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते थे पर एक हादसे में उन्होंने अपना एक पैर खो दिया। इसी वजह से उन्हें पहलवानी छोड़ कर किस्मत ने जेवलिन थ्रोअर बना दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इस बार के पैराओलंपिक में गोल्ड जीत कर देश का नाम भी रोशन किया है। तो चलिए जानते हैं उनके स्ट्रगल की कहानी।
सुमित ने जेवलिन थ्रो में जीता गोल्ड
पैराओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट सुमित अंतिल हरियाणा के रहने वाले हैं। सुमित पहलवान बनने का सपना देखा करते थे हालांकि किस्मत को उनके लिए कुछ और ही मंजूर था। वे हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं और पैराओलंपिक 2020 में उन्होंने जेवलिन थ्रो में देश को गोल्ड मेडल दिलाया है। खास बात ये है कि इनसे पहले ही महिला निशानेबाज अवनी लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 में गोल्ड जीता था। बता दे सुमित ने लगातार तीन थ्रोव्स में तीन बार वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा था।
ये भी पढ़ें-भारतीय निशानेबाजों पर डूबे 100 करोड़ रुपये, ओलंपिक से लौटे खाली हाथ
ये भी पढ़ें- मिस्त्री के बेटे ने एक हाथ न होते हुए भी रचा इतिहास, जानें कहानी
17 साल की उम्र में दुर्घटना में खोया पैर
7 जून 1998 में सुमित के ऊपर कठिनाइयों का पहाड़ टूट पड़ा था। वे महज 17 साल के ही थे और एक हादसे में उनका एक पैर नहीं रहा। इसके बाद भी उन्होंने जीवन में कभी हार नहीं मानी। उन्होंने जीवन से तो जंग लड़ी ही साथ ही अपने सपनों को हासिल करने के लिए भी जंग लड़ी है। जब वे 7 साल के ही थे तब उनके पिता जो एयरफोर्स में थे, उनकी मौत हो गई थी। बता दें कि सुमित की तीन बहने हैं। साल 2015 में शाम के वक्त वे बाइक से जा रहे थे। उनकी बाइक पर ट्रैक्टर की टक्कर लगी। इस दुर्घटना में उनकी जान तो बच गई पर सुमित को अपना एक पैरा हमेशा के लिए खोना पड़ गया। इसके साल भर बाद सुमित को नकली पैर लगाया गया। उनके कोच वीरेंद्र धनखड़ ने उन्हें राह दिखाई और आज वे विश्व विजेता हैं।
ऋषभ वर्मा