एक साल में हो गई थीं पोलियो की शिकार, पक्का किया सिल्वर मेडल

इन दिनों देश में पैराओलंपिक का खुमार सिर पर चढ़ कर बोल रहा है। खास बात ये है कि इस बार ओलंपिक में भारत ने 7 मेडल जीते हैं जिसके बाद से पैराओलंपिक में भी लोगों की उम्मीदें खिलाड़ियों से बढ़ गई हैं। ऐसे में भाविना पटेल ने देश के नाम पैराओलंपिक में सिल्वर मेडल तो पक्का कर ही दिया है। वे टेबल टेनिस के खेल के सेमीफाइनल में पहुंच चुकी हैं और अब देश को उनसे गोल्ड मेडल की उम्मीद है। तो चलिए जानते हैं भाविना के स्ट्रगल की कहानी और यहां तक पहुंचने के साहस के बारे में।

फाइनल में पहुंच भाविना ने पक्का किया सिल्वर मेडल

भाविना पटेल टेबल टेनिस के खेल में भारत का पैराओलंपिक में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वे टेबल टेनिस एकल क्लास 4 के सेमीफाइनल मुकाबला जीत फाइनल में पहुंच चुकी हैं। वे 34 साल की हैं और अहमदाबाद की रहने वाली हैं।बता दे क्वार्टर फाइनल में  भाविना ने 2016 के रियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली सर्बिया की बोरिसलावा पेरिच रांकोविच को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था और देश को गौर्वान्वित किया था। उन्होंने पेरिच को 3-0 से हराया था। उनकी प्रतिद्वंदी ने एक भी सेट नहीं जीता था। सेमीफाइनल में भाविना ने चीन की झांग मिआ को हराकर फाइनल में प्रवेश कर लिया हैं।

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कभी थीं विश्व स्तर पर नंबर 2 रैंकिंग

भाविना ने पैराओलंपिक में 19 मिनट तक क्वार्टर फाइनल में रांकोविच को 11-5,11-6,11-7 से हरा दिया था। बता दें कि भाविना पहली पैराओलंपिक भारतीय खिलाड़ी व पहली पैराओलंपिक भारतीय महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने पैराओलंपिक के टेबल टेनिस के सेमीफाइनल में जगह बनाई। भाविना टेबल टेनिस की बेहतरीन खिलाड़ी हैं। एक वक्त ऐसा भी था जब उनकी दुनिया भर में नंबर दो रैंक थी। फिलहाल उनकी मौजूदा रैंकिंग की बात करें तो ये 12 है। 2011 में पीटीटी थाईलैंड टेबल टेनिस चैंपियनशिप भी वे जीत चुकी हैं। वहीं साल 2013 में बीजिंग एशियन पैरा टेबल टेनिस चैंपियनशिप में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। उन्होंने इस प्रतियोगिता में महिला एकल क्लास 4 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। वे क्लास 4 लेवल की पैरा एथलीट के तौर पर जानी जाती हैं। बता दे महज एक साल की उम्र में भाविना पोलियों का शिकार हो गई थी। और गरीब परिवार से होने के कारण उन्हें व्हील चेयर पर ही अपना आगे का जीवन बीताने पर मजबूर होना पड़ा था। लेकिन इस बेटी ने लाचारी के बजाय हौसले का दामन थाम देश का नाम रोशन किया हैं। 

ऋषभ वर्मा

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