भारत और चीन के बीच करीब ढाई महीने तक चले डोकलाम सीमा विवाद के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन रवाना हो गए हैं। बता दें कि नौवां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन चीन के शियामेन शहर में आज से शुरू हो रहा है। डोकलाम विवाद के बाद पीएम का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। इस दौरान सभी की नजरें पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मुलाकात पर होंगी।
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चीन इस सम्मेलन में खुद को 21वीं सदी के वैश्विक परिदृश्य के सबसे मजबूत स्तंभ के रूप में पेश करने की तैयारी में है, लेकिन इस दौरान उसने भारत को पाकिस्तानी आतंकवाद पर बात ना करने की सलाह दी है।
ब्रिक्स सम्मेलन से ठीक पहले चीन ने भारत को सलाह दी है कि वह इस सालाना बैठक में पाकिस्तानी आतंकवाद को लेकर बात ना करें। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने गुरुवार को मीडिया से कहा, ”हमने ध्यान दिया है कि भारत की पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधक कार्यक्रम को लेकर कुछ चिंताएं हैं। हमें नहीं लगता कि ब्रिक्स बैठक में चर्चा करने के लिए ये उचित विषय है।”
मोदी-जिनपिंग की मुलाकात पर नजर
इस शिखर सम्मेलन में पूरी दुनिया की नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात पर होगी। दोनों के बीच सोमवार को बैठक होने की संभावना है। दोनों शीर्ष नेता विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा करेंगे। खासकर दोनों देशों के बीच डोकलाम सीमा विवाद के मद्देनजर यह बहुत जरूरी हो गया है।
ओबीओआर पर भी विचार-विमर्श की संभावना
डोकलाम के अलावा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एएलसी) पर नेपाल और म्यांमार के साथ लगे ट्राई जंक्शन पर भी भारत और चीन में तनातनी हो सकती है। इसके अलावा चीन के महात्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) पर भी विचार-विमर्श की संभावना है। भारत की ओर से स्पष्ट रूप से बताया जाएगा कि चीन की इस एकतरफा पहल से वह खुश नहीं है।
आतंकवाद पर भारत का रवैया बहुत स्पष्ट
भारत इस बैठक में अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर सक्रिय आतंकी नेटवर्क के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाने और दुनिया भर में फैल रहे अतिवाद को काबू में करने की योजना बनाए जाने की मांग करेगा। हालांकि जिनपिंग ने बृहस्पतिवार को ही स्पष्ट कर दिया है कि ब्रिक्स के मंच से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर कोई चर्चा नहीं होगी, फिर भी भारत इसे अपने तरीके से उठाएगा। विदेश मंत्रालय के अनुसार आतंकवाद पर भारत का रवैया बहुत स्पष्ट है और वह इसे कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा भी चुका है।
क्या होगा एजेंडा
इस शिखर सम्मेलन का सूत्र वाक्य है ‘उज्ज्वल भविष्य के लिए मजबूत साझेदारी’। इसके तहत तय किए गए एजेंडे में इन मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है:
– आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना
– राजनीतिक एवं सुरक्षा सहयोग
– एक-दूसरे के नागरिकों की आवाजाही
– अक्षय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन
– ब्रिक्स क्रेडिट रेटिंग एजेंसी का गठन
– नए सदस्य देशों को शामिल करना
– पश्चिम की संरक्षणवादी नीतियों का विरोध
ब्रिक्स की बुनियाद
सबसे पहले गोल्डमैन सैश के एक अर्थशास्त्री ने 2001 में पश्चिमी देशों को चुनौती देने की क्षमता रखने वाले ब्राजील, रूस, भारत और चीन की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए ब्रिक्स शब्द का इस्तेमाल किया। इन चार देशों ने 2009 में रूस में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के जुड़ने से इसके सदस्य देशों की संख्या पांच हो गई। इन देशों में दुनिया की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी रहती है, जबिक विश्व अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी 22 फीसदी है। इन देशों की औसत आर्थिक वृद्धि दर वैश्विक औसत से ज्यादा है।