अभी अभी: गुजरात के मिशन-50 को भाजपा ने दी धार....

अभी अभी: गुजरात के मिशन-50 को भाजपा ने दी धार….

गुजरात चुनाव के मिशन-150 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली भी सक्रियता से जुटेंगे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। जबकि कर्नाटक में यह जिम्मेदारी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को दी गई है।अभी अभी: गुजरात के मिशन-50 को भाजपा ने दी धार....भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के यू टर्न से झुर्रीदार चेहरे वाले नेताओं पर छाई चमक

इसी साल के अंत में होने वाला गुजरात चुनाव अहम है। हालांकि प्रदेश में विपक्षी कांग्रेस का नैतिक बल भी कमजोर है और ऐसा कोई दूसरा घटक दूर-दूर तक नहीं दिख रहा जो स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना सके। लेकिन, भाजपा केवल जीत नहीं बल्कि 150 के आंकड़े को पार करना चाहती है। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में यह आज तक किसी दल ने नहीं किया है। खुद शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका भी चुनाव में अहम होगी।

राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव को तीन महीने पहले ही प्रभारी बनाया गया है। अब चुनाव प्रभारी के तौर पर जेटली को जिम्मेदारी दी गई है। ध्यान रहे कि जेटली पहले भी गुजरात का चुनाव प्रभार संभालते रहे हैं। हाल में राज्यसभा चुनाव के वक्त जिस तरह कांग्रेस लडख़ड़ाती नजर आई थी उससे पार्टी का मनोबल कमजोर है। लेकिन, अपना आधार बचाने की तैयारी भी चल रही है। बताते हैं कि चारों क्षेत्रों में कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। भाजपा ने भी पलटवार की तैयारी कर ली है। जेटली के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री पीपी चौधरी को सह प्रभारी बनाया गया है। सीतारमण पिछले विधानसभा चुनाव में भी गुजरात में लगाई गई थीं।

गुजरात के साथ ही हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव हो सकता है। वहां की जिम्मेदारी सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को दी गई है। वहीं, कर्नाटक में जावड़ेकर को सक्रियता से लगने को कहा गया है। खुद शाह हाल ही में कर्नाटक का दौरा कर लौटे हैं। सूत्र बताते हैं कि वह प्रदेश भाजपा की चुनावी तैयारियों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। संभवत: दो दिन में वह कर्नाटक के सभी बड़े नेताओं और पूरे कोरग्रुप केसाथ दिल्ली में बैठक भी कर सकते हैं। उससे पहले ही जावड़ेकर को जिम्मेदारी देकर शाह ने संकेत दे दिए हैं कि शीर्ष नेतृत्व वहां किसी तरह की शिथिलता नहीं चाहता। कर्नाटक में अगले साल अप्रैल में चुनाव संभावित हैं। शाह ने गुरुवार को सभी राष्ट्रीय महासचिवों की बैठक कर अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की।

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