
जानना चाहेंगे कि कानपुर को क्यों कहा जाता हैं “मैनचेस्टर अॉफ ईस्ट”
धनंजय को बोर्ड की लापरवाही से नुकसान झेलना पड़ा है, क्योंकि उसे फेल करार दिया गया। धनंजय के भाई का कहना है कि उन्होंने इन सब के लिए करीब 6 महीने प्रशासन के चक्कर काटे हैं और इस वजह से उसका भाई डिप्रेशन में चला गया।
वहीं धनंजय का कहना है कि वो आईआईटी की परीक्षा देना चाहता था, लेकिन उसका सपना इस रिजल्ट के बाद टूट गया। धनंजय इन हालातों से गुजरा रहा था कि वो खुद को खत्म करने का प्लान बना चुका था, लेकिन परिवार का साथ होने के चलते उसे काफी मदद मिली।
ये मामला राजनीतिक तूल भी पकड़ता जा रहा है, क्योंकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी मामले पर ट्वीट किया है। दरअसल, बिहार में टॉर्प्स से जब सवाल पूछे गए थे तो वह जवाब देने में असमर्थ रहे थे और इसके बाद राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे थे।