आज से यानी की 23 जुलाई से टोक्यो में ओलंपिक 2020 का आगाज होने वाला है। बता दें कि इस बार का ओलंपिक कोरोना महामारी के चलते एक साल देरी से हो रहा है। अब ओलंपिक की शुरुआत हो रही है तो इसे लेकर या इसके प्रतिभागियों को लेकर कई सारी कहानियां सामने आ रही हैं।
आज हम आपको ऐसे ओलंंपिक प्रतिभागी की कहानी बताएंगे जो दंगल करके 10 रुपये कमाते थे पर अब ओलंपिक में अपना जलवा बिखेरने वाले हैं।
इस खिलाड़ी के संघर्ष की कहानी है दिलचस्प
ओलंपिक के आते ही कई ऐसे भारतीय एथलीटों की कहानी सामने आती है जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है और तब जा कर इस मुकाम तक पहुंचे हैं। आज हम ऐसे ही खिलाड़ी संदीप कुमार की बात करेंगे। बता दें कि संदीप ने ऐसे खेल को अपना करियर चुना जो न तो मशहूर था और न ही कोई एथलीट इस खेल में पहले कभी हिस्सा लिया था। संदीप कुमार ने पहलवानी, बाॅक्सिंग, हाॅकी व निशानेबाजी जैसे खेल छोड़ कर रेस वाॅकर खेल में करियर बनाने को ऑप्शन चुना।
रेस वॉकर नाम के खेल को बतौर करियर चुना
बता दें कि संदीप कुमार भारत के नंबर वन रेस वाॅकर हैं। उनका ये फैसला जो सालों पहले लिया गया था, अब कहा जा सकता है कि सही साबित हुआ है। संदीप ने 2016 के रियो ओलंपिक में 20 किमी व 50 किमी प्रतियोगिताओं में भाग लिया था। मालूम हो कि 50 किमी व 20 किमी का नेशनल अवाॅर्ड संदीप के ही नाम है। वहीं ओलंपिक में इस बार संदीप 20 किमी कैटेगरी में अपना जलवा बिखेरते दिखेंगे। देश को उनसे इस खेल में स्वर्ण पदक की उम्मीद है।
ये भी पढ़ें- राज कुंद्रा के पिता थे बस कंडक्टर, जानें कैसे बने आईपीएल टीम के मालिक
ये भी पढ़ें- 25 भाई-बहनों की जोड़ियां उतरेंगी ओलंपिक में, स्वर्ण पदक पर होंगी निगाहें
दंगल लड़ कर कमाते थे मात्र 10 रुपये
संदीप ने ओलंपिक तक पहुंचने का अपना संघर्ष साझा किया और बताया कि वे सिर्फ 7 साल के ही थे जब उनकी मां गुजर गई। उन्होंने कहा, ‘ तबसे मेरा बचपन पूरी तरह से ही बदल गया और मैं खेत में काम करने लगा। मैं पिता जी के साथ खेत में काम करता और घर पर आकर गाय व भैंसे संभालता।’ उन्होंने बताया, ‘मैं टीनएजर था तब आसपास के गांवों में दंगल लड़ता था। वहां मुझे 5-10 रुपये मिल जाते थे और मेरी रोजाना की जरूरत पूरी हो जाती थी।’
ऋषभ वर्मा
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features