चोट देख परिवार ने कहा न, फिर भी लड़ी करियर की सबसे बड़ी फाइट

टोक्यो ओलंपिक में इन दिनों भारतीय खिलाड़ियों में सबसे अधिक अगर किसी का जलवा है तो वो हैं महिलाएं। दरअसल महिलाओं ने रियो ओलंपिक में भी देश की नाक बचाई थी और इस बार भी पुरुषों ने एक भी इंडिविजुअल मेडल अब तक अपने नाम नहीं किया है। ऐसे में एक बॉक्सर की कहानी सामने आई है जिन्हें बेहिसाब चोट वे 13 टांके लगने के बावजूद उन्होंने परिवार की बात न मानते हुए फाइट लड़ी और पुरुषों का नाम रोशन किया। तो चलिए जानते हैं उनके बारे में।

13 टांकों के साथ उतरे थे रिंग में

हैवीवेट कैटेगरी के भारतीय बॉक्सर सतीश कुमार टोक्यो ओलंपिक से बाहर हो गए हैं पर उनके जज्बे को पूरा देश सलाम कर रहा है। वे क्वार्टरफाइनल में मैच हार गए और पदक की होड़ से बाहर हो गए। बता दें वे भारतीय सेना में भी कार्यरत हैं। बड़ी बात ये है कि सतीश क्वार्टर फाइनल के मुकाबले में रिंग में उतरे थे पर उससे पहले उनके चेहरे पर 13 टांके लग चुके थे। डॉक्टर से लेकर परिवार वालों तक ने उन्हें फाइट करने से मना किया था पर उन्होंने किसी की भी नहीं मानी।

‘खिलाड़ी कभी हार नहीं मानते’

जब परिवार वाले खेल नहीं खेलने देने के पीछे पड़े थे तब सतीश ने उनसे कहा कि खिलाड़ी कभी हार नहीं मानते और रिंग में उतरने का फैसला ले लिया। 32 साल के सतीश ने बताया, ‘मेरे फोन में मैसेज और कॉल आना बंद नहीं हो रहा है। लोग लगातार बधाई देने में जुटे हुए हैं। लोग मुझे ऐसे बधाई दे रहे हैं जैसे मैंने ओलंपिक में पदक हासिल किया हो। मैं जानता हूं मेरे चेहरे पर कितने घाव हैं और मेरा इलाज जारी है फिर भी मैं रिंग में उतरा।’ मालूम हो कि क्वार्टर फाइनल के दौरान सतीश को माथे व ठुड्डी पर भारी चोट लगी थी फिर भी उन्होंने रिंग में उतर कर खेलने का फैसला लिया।

कहांकहां लगे थे ये 13 टांके

इसके बाद सतीश ने बताया, ‘मेरी ठुड्डी में सात टांके लगे थे और माथे पर छह टांके। मैं जानता था कि शायद जीत न पाऊं पर मुझे खेलना था। अगर मैं बिना खेले ही हार जाता तो मुझे पछतावा होता। हालांकि अब मेरा मन शांत और संतुष्ट है कि मैंने सर्वश्रेष्ठ खेला है।’

ऋषभ वर्मा

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com