ओलंपिक हाल ही में खत्म हुए हैं जिसमें भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। भारत को इस बार ओलंपिक से 7 मेडल मिले जिसमें दो सिल्वर, एक गोल्ड व 4 ब्राॅन्ज शामिल थे। वहीं पैराओलंपिक में भी भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन शानदार है।
अब एक खिलाड़ी के पैराओलंपिक में पदक जीतने की कहानी सामने आई है। दरअसल खेल में भाग लेने से पहले कुछ ऐसा हुआ था कि वे अपना नाम वापस लेना चाहते थे। हालांकि उन्होंने घर जा कर भगवतगीता पढ़ी तो उनमें एक अंजानी ऊर्जा का संचार हुआ और उन्होंने ओलंपिक से भारत के लिए मेडल जीत लिया। तो चलिए जानते हैं इस खिलाड़ी की मेडल जीतने वाली अनोखी कहानी के बारे में।
चोट लगने पर फाइनल से ले रहे थे नाम वापस
टोक्यो पैराओलंपिक में ऊंची कूद प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ी शरद कुमार ने देश के लिए ब्राॅन्ज मेडल जीता है। उनके ब्राॅन्ज जीतने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है जिसे सुन कर शायद देश को और हर हिंदू को उन पर गर्व होगा। दरअसल शरद के घुटने में चोट लग गई थी और ऊंची कूद में प्रदर्शन करने में उन्हें दिक्कत महसूस हो रही थी। इस वजह से उन्होंने ओलंपिक के फाइनल से अपना नाम वापस लेने की सोची। इस बारे में उन्होंने भारत में रह रहे अपने परिवार से बात भी की। इसके बाद मन की शांति के लिए उन्होंने भगवत गीता पढ़ी और उससे उनको कई तरह की चिंताओं से मुक्ति मिल गई।
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भगवतगीता पढ़ कर ऐसे जीता मेडल
इसके बाद उनके मन में फाइनल से नाम वापस लेने वाला विचार खत्म हो गया। खास बात तो ये है कि उन्होंने ऊंची कूद में ब्राॅन्ज मेडल तक जीत लिया। 29 साल के शरद को सोमवार के दिन घुटने में चोट लगी थी और उन्हें खेल में दिक्कत हो सकती थी इसके बावजूद वे मैदान पर उतरे और ब्राॅन्ज जीत कर देश को गौरवान्वित कर दिया। उन्होंने मेडल जीतने के बाद अपना इंटरव्यू दिया और कहा कि अभ्यास के दौरान सोमवार के दिन मैं चोटिल हो गया था और मन में फाइनल से नाम वापस लेने के विचार मन में आ रहे थे। तब मेरे पिता ने मुझे भगवत पढ़ने की सलाह दी थी।
ऋषभ वर्मा
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