मोटापे को कुछ लोग अच्छी सेहत का प्रतीक मानते हैं। लेकिन हाल ही के एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि शरीर में ज्यादा फैट हर्ट अटैक का कारण बन सकता है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन एंड कैंब्रिज के शोधकर्ताओं ने अपने एक शोध में इस बात का पता लगाया है कि ओवरवेट लोगों में फिट लोगों के मुकाबले कोरोनरी हर्ट डिसीज का खतरा 28 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, और ऐसा तब भी संभव है जब वह ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के लेवल पर बिल्कुल स्वस्थ हो।
शोध से जुड़े एक रिसर्चर बताते हैं कि जब भी कोई मोटापे का शिकार होता है तो उसे चाहिए कि वह जल्द से जल्द कोशिश करे कि स्वस्थ वजन हासिल कर ले। ऐसा नहीं होने पर कोरोनरी हर्ट डिसीज का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। इन सबमें यह बात बिल्कुल मायने नहीं रखती कि आपका ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर या फिर कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल रेंज में है। कोरोनरी हर्ट डिसीज में धमनियों के बंद हो जाने की वजह से पर्याप्त रक्त हर्ट तक नहीं पहुंच पाता जिसकी वजह से हर्ट फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि मोटापे को अच्छे स्वास्थ्य की निशानी कहना सही नहीं है। ज्यादा वजन सीधे तौर पर दिल की बीमारी का खतरा नहीं बढ़ाता है, बल्कि मोटापे की वजह से होने वाली अन्य बीमारियों मसलन ब्लड प्रेशर बढ़ने से या फिर हाई ग्लूकोज की वजह से यह समस्या जन्म लेती है। शोध में 12 साल से ज्यादा के फॉलो अप पीरियड में तकरीबन 7,637 लोगों को शामिल किया गया था। इनके वजन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के आधार पर वर्गीकृत किया गया था। जिसके मुताबिक वे लोग जिनका बॉडी मास इंडेक्स 30 से ऊपर होता है वो लोग मोटे लोगों की श्रेणी में होते हैं। वह 25-30 बीएमआई वाले लोग ओवरवेट तथा 18.5-25 तक की बीएमआई वाले लोग नॉर्मल वेट के माने जाते हैं।