सीवर की वजह से बड़े पैमाने पर गई लोगों की जान को लेकर सरकार गंभीर दिख रही है। सरकार ने पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में सीवर सफाई के दौरान मौत का शिकार हुए 10 लोगों को मद्देनजर रखते हुए देश भर में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई में सुरक्षा मानकों पर काम कर रही है। अभी-अभी: ISRO के सपने को लगा बड़ा झटका, नैविगेशन सैटलाइट IRNSS-1H की लॉन्चिंग फेल
मामले में मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013″ (एमएस अधिनियम) के तहत रोजगार निषेध की समीक्षा में पाया गया है कि सफाई करने वाले कर्मियों को जानलेवा सीवर की सफाई में लगाने के लिए दर्ज मामलों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
राज्यों ने मामले में कोई भी आधिकारिक आंकड़े नहीं दिए हैं। हालांकि केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने कहा है कि सीवर और सेप्टिक टैंकों में लोगों की मौत के 70 मामले प्रेस रिपोर्टों से सामने आए हैं। जानकारी के मुताबिक मंत्रालय ने राज्यों के साथ इस मसले को उठाया था, जिसमें एक- दो मामलों को छोड़कर उन घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बारे में कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी।
मामले में छह राज्यों ने 2014 में एक फैसले के तहत से पीड़ित परिवारों को मुआवजे का भुगतान करने के संदर्भ में सीवरेज से हुई डेथ के आंकड़ों के बारे में बताया है। इसमें तमिलनाडु में 144 लोगों की मौत हुई है, पंजाब 18, कर्नाटक में 57, यूपी 37 और केरल 12 लोगों की जान गई है। मंत्रालय ने इस अधिनियम के कार्यान्वयन पर एक समीक्षा बैठक के दौरान बताया कि एमएस अधिनियम के तहत उल्लंघन के लिए कोई उत्तरदायित्व नहीं है। इस बैठक को बुधवार को त्री थवरावर्धन गेहलोत की अध्यक्षता में किया गया था।