जर्मनी में विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. पुलिस ने बताया कि एक मेल नर्स ने 90 मरीजों को लीथल ड्रग (जानलेवा ड्रग) का ओवरडोज देकर मार डाला. यह घटना जर्मनी के ब्रेमेन शहर के डेलमेनहॉर्स्ट अस्पताल की है.
बता दें कि 40 साल के नील्स हॉएगेल जेल में है. फरवरी 2015 में उन्होंने दो लोगों की हत्या और चार लोगों को मारने की कोशिश की थी.
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अस्पतालों में की जांच-पड़ताल
पुलिस ने कहा कि फोरेंसिक विशेषज्ञों ने 130 से ज्यादा लाशों का विश्लेषण किया. इसके साथ ही उन्होंने दो अस्पतालों में जांच-पड़ताल की जहां हॉएगेल 1999 और 2005 के बीच काम किया करता था.
गंभीर रूप से बीमार लोगों को बनाया शिकार
इस मामले में मुख्य पुलिस अन्वेषक आर्ने स्किमिट ने कहा, “मरने वालों की संख्या जर्मनी के इतिहास में अनोखी है”. कहा कि हॉएगेल ने “एक स्पष्ट पैटर्न के बिना” मारे और विशेष रूप से गंभीर रूप से बीमार लोगों को शिकार बनाया. उन्होंने कहा कि फिलहाल 90 लोगों की हत्या किए जाने के सुबूत मिले हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे मामले भी हैं जिनके सुबूत नहीं मिल सके हैं.
हॉएगेल ने ये स्वीकार किया है कि वह गंभीर रूप से बीमार मरीज को लीथल इंजेक्शन लगाता था. इससे मरीजों का हार्ट फेल हो जाता था या रक्त संचार तंत्र काम करना बंद कर देता था. ताकि वह फिर से उन्हें पुर्नजीवित करने का प्रयास कर सके और सफल हो सकें, उनके चिकित्सकीय सहयोगियों से पहले एक रक्षक के रूप में उभर सके.
कई मौतों के कारण का नहीं हुआ निर्धारण
खुलासे के बाद, तीन साल पहले पुलिस और अभियोजन पक्ष ने मरीजों की अन्य मौतों की जांच के लिए एक विशेष फोरेंसिक आयोग को “कार्डियो” (कार्डियो) करार दिया था. कई मामलों में मौत का कारण निर्धारित नहीं किया जा सकता क्योंकि शारीरिक अवशेषों का अंतिम संस्कार किया गया था.
बता दें कि एक महिला ने पुलिस से संपर्क किया, यह संदेह व्यक्त किया कि उसकी मां भी हत्यारे नर्स की शिकार हो गई थी.