रूस की कंपनी सिस्टेमा जेएसएफसीने केंद्र की पिछली यूपीए सरकार की आलोचना की है। कंपनी ने कहा है कि अगर यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से बचाव किया होता तो 2012 में 122 टेलिकॉम लाइसेंस कैंसल नहीं होते। सिस्टेमा के भारतीय जॉइंट टेलिकॉम वेंचर के लाइसेंस भी इसमें शामिल थे।
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सिस्टेमा के ग्रुप चीफ फाइनैंशल ऑफिसर वेसवोलोद रोजानोव ने ईमेल के जरिए हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘अगर सरकार (यूपीए) ने शुरुआत में मजबूती से पक्ष रखा होता तो लाइसेंस कैंसल होने की नौबत नहीं आती। हमारी आलोचना में कहा गया कि हमें ज्यादा ड्यू डिलिजेंस (किसी डील से पहले उसके बारे में जानकारी लेना) करना चाहिए था। हालांकि ऐसे लाइसेंस का ड्यू डिलिजेंस करने का कोई मतलब ही नहीं था, जिसे सरकार जारी कर रही हो। हमने तो सही प्रक्रिया का पालन किया। एक विदेशी निवेशक होने के नाते हम सरकार के नियम और कानून पर भरोसा करते हैं।’
ऑइल से लेकर टेलिकॉम सेक्टर में दखल रखने वाले सिस्टेमा ग्रुप के रोजानोव सीनियर वाइस प्रेसिडेंट हैं। जब लाइसेंस कैंसल किए गए थे, तब वह कंपनी का भारतीय कामकाज देख रहे थे। लाइसेंस कैंसल किए जाने के बाद कंपनी ने आखिरकार भारत में टेलिकॉम बिजनस से निकलने का फैसला किया। रोजानोव के मुताबिक, पिछले हफ्ते 2जी केस में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद लगा कि कंपनी को बिना गलती के सजा मिली। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार की नीतियों में बदलाव की वजह से सिर्फ टेलिकॉम नहीं, कई दूसरे सेक्टर्स से भी विदेशी निवेशक निकल गए या उन्होंने भारत में पैसा नहीं लगाया।
सिस्टेमा को सिस्टेमा श्याम टेलिसर्विसेज लिमिटेड (एसएसटीएल) में 1.2 अरब डॉलर से अधिक के निवेश को बट्टे खाते में डालना पड़ा। उसने भारत के श्याम ग्रुप के साथ 2007 में मिलकर एसएसटीएल बनाया था। 2012 में कंपनी के 22 लाइसेंस में से 21 कैंसल हो गए। इससे कंपनी को भारी चोट पड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ‘पहले आओ, पहले पाओ’ पॉलिसी को गलत बताते हुए 9 कंपनियों के सभी 122 लाइसेंस कैंसल कर दिए थे। हालांकि, पिछले हफ्ते एक स्पेशल कोर्ट ने कहा कि 2008 में लाइसेंस देने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई थी और उसने 18 आरोपियों को बरी कर दिया। जिन कंपनियों के नाम 2जी मामले से जुड़े थे, उन्हें भी आरोपमुक्त कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने लाइसेंस कैंसल करने के बाद नए सिरे से लाइसेंस की नीलामी का आदेश दिया था। सिस्टेमा ने उस वक्त अपने निवेश को बचाने के लिए बाइलैटरल इन्वेस्टमेंट ट्रीटी का इस्तेमाल करने की चेतावनी दी थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय एसएसटीएल ने 2013 में ऑक्शन में 8 सर्किल के लाइसेंस 2,013 करोड़ रुपये में खरीदे थे। उसने कुल 3,639 करोड़ रुपये की बोली जीती थी, जिसमें पिछले लाइसेंस की 1,626 करोड़ रुपये की लागत सरकार ने अजस्ट की थी, इसलिए उसने 8 सर्किल के लिए 2,013 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।