उत्तराखंड सरकार अल्पसंख्यक वर्ग में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए लिए एक खास स्कीम चलाती हैं. लेकिन इस स्कीम के बारे में प्रचार बिलकुल ना के बराबर हैं. उत्तराखंड सरकार ने इसका कतई प्रचार नहीं किया. जिससे यह स्कीम धरी की धरी रह गई. इस स्कीम का इतना कम प्रचार हुआ कि 5 साल के भीतर मुट्ठी भर लोग भी इस योजना में शामिल नहीं हो पाए. अल्पसंख्यक कल्याण व वित्त निगम विकास के माध्यम से अल्पसंख्यक वर्ग के लोगो को कई तरह के अलग-अलग ऋण प्रदान किये जाते हैं. इसी के तहत मौलाना आजाद फाउंडेशन एजुकेशनल स्कीम चलाई जाती हैं. इस योजना के तहत छात्रों को 5 लाख रु का ब्याज मुक्त लोन प्रदान किया जाता हैं.

5 साल से राज्य सरकार की ये योजना चल तो रही हैं परन्तु यह गतिहीन हैं. इस योजना की जमीनी हकीकत ये है कि 5 साल की अवधी में अब तक केवल 168 लोग ही इस योजना का लाभ उठा पाए हैं. निगम की जानकारी के अनुसार, साल 14-15 में 34, 15-16 मे 48, 16-17 में 31 और साल 17-18 में 29 छात्र ही इस योजना के तहत अब तक केवल 168 लोगो को ही लोन प्रदान किया गया हैं.
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वास्तव में, इतना कम लोन बाँटने की बड़ी वजह यह हैं कि अल्पसंख्यकों को इस लोन की ठीक से जानकारी भी नहीं हैं. पिछले दस वर्ष से निगम के महाप्रबंधक लालचंद्र इस योजना को अल्पसंख्यकों के लिए लाभदायक तो बताते हैं. परन्तु साथ ही इसकी इतनी धीमी रफ़्तार पर भी चिंता जताते हैं. इस योजना के तहत केवल वही छात्र इस योजन के पात्र हैं. जिनके परिवार की सालाना आय 1 लाख रु से कम हो और उच्च शिक्षा एमबीबीएस,आईआईटी,बीटेक,बीएड हासिल करना चाहते हो.
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