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पितृ पक्ष में इन कार्यों पर दें ध्यान तो होंगे पूर्वज प्रसन्न
श्राद्ध कर्म को लेकर कुछ लोग काफी भव्य आयोजन करते हैं जो गलत है। इस दौरान सामान्य तरीके से साधा आयोजन करना चाहिए और पितरों को याद करना चाहिए। साथ ही इस दौरान काम, क्रोध और लालच से भी दूर रहना चाहिए। वैसे भी कहा जाता है कि ये तीनों ही हानिकारक हैं। इसलिए अगर 15 दिन इससे दूर रहते हैं तो यह और अच्छा है। इस दौरान घर में आने वाले ब्राह्मण को भोजन करानान चाहिए और अपने सगे संबंधियों को भी बुलाकर उनको भोजन कराने से पितृजन खुश होते हैं।
घर में भी कलह न मचाएं और शांति रखें
कुछ लोगों के घर में लड़ाई और कलह बनी रहती है, इसलिए श्राद्ध के दौरान इससे दूर रहना चाहिए। अपने पारिवारिक लोगों को आदर देना चाहिए और सम्मान पूर्वक बुलाना चाहिए। तर्पण के लिए सुबह आठ बजे से 11 बजे तक अच्छा समय होता है। अगर उनको जल से तर्पण करते हैं तो दोष से भी मुक्ति मिलेगी। इससे पितरों को शांति मिलती है।श्राद्ध कर्म के लिए पूर्वज की तिथि के अनुसार ही पूजा करनी चाहिए। इसके लिए भी समय तय होता है।
दिशाओं का भी रखें ख्याल
पितरों को जो भी खानपान का सामान चढ़ाना हो तो उसे पश्चिम दिशा में लगाएं। उनका मुंह पश्चिम की ओर होता है। इस दौरान पिंडदान और हवन का भी चलन है। इसे करना भी अच्छा माना जाता है। श्राद्ध कर्म करने वाले को पिता, दादा और परदादा को पिंड अर्पित करना चाहिए। यह विधि मान्य है। इस दौरान गायंत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।
GB Singh