देशभर में इस साल बाढ़ का कहर पिछले एक दशक में सबसे भयानक रहा है। इस साल बाढ़ के चलते 280 जिले के 3.4 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं, जिसमें 1000 लोगों की मौत हो चुकी है। ममता सरकार ने रद्द की RSS प्रमुख भागवत के कार्यक्रम की बुकिंग
रिपोर्ट की माने तो बाढ़ के चलते 3 लाख हेक्टेयर की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। लगभग 8 लाख घर और 16,000 स्कूल इससे प्रभावित हुए हैं। राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्र भी बाढ़ से प्रभावित चल रहे हैं और लोगों की मदद के लिए उपलब्ध नहीं है।
रिकॉर्ड बताते हैं कि 2007 से अबतक देश में बाढ़ के कारण सबसे बूरे हालात पैदा हुए हैं। इससे पहले 2007 में ऐसी बाढ़ आयी थी, उस वक्त लगभग 4.1 करोड़ लोग बाढ़ से प्रभावित हुए थे। पिछले कुछ दिनों में लोगों को बाढ़ से राहत मिली है। यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में नदियों का बहाव सामान्य हुआ है और बारिश भी कम हो गई है। हालांकि असम और आसपास के इलाकों में अभी भी बाढ़ जैसे ही हालात हैं।
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गौरतलब है कि देश के कई राज्यों में जारी बाढ़ के कहर से निपटने के लिए केंद्र सरकार 87 बिलियन डॉलर की लागत से नदियों को आपस में जोड़ने का प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। इस प्रोजेक्ट का मकसद देश को सूखे और बाढ़ से मुक्ति दिलाना है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक योजना के पहले चरण की शुरुआत के लिए केंद्र सरकार मंजूरी दे चुकी है। बताते चलें कि इस प्रोजेक्ट के तहत गंगा नदी के साथ देश की अन्य 60 नदियों की लिंक की जाएंगी। इसके तहत पहले चरण में 22 किमी लंबी नहर के जरिए केन नदी को बेतवा नदी से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा गंगा, गोदावरी और महानदी को दूसरी नदियों से जोड़ा जाएगा।