World Radio Day: आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है रेडियो!

लखनऊ: तकनीक के इस युग ने हम उस रेडियो को लगभग भूल ही बैठे है, जो कुछ दश्क पहले संचार का सबसे अहम माध्यम हुआ करता था। आज के दौर में भले ही स्मार्ट फोन हर तरह के मीडिया पर भारी पड़ रहा है लेकिन रेडियो आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।


खासकर एफएम रेडियो इस क्षेत्र में क्रांति लाने में सफल रहा है और लोग आज बड़े शौक से अपने फोन में या गाडिय़ों में इसे सुनते हैं। सिर्फ गाडिय़ों में ही नहींए ग्रमीण इलाकों में आज भी रेडियो मनोरंजन और सूचना का मुख्य साधन है। पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम ने भी एक बार फिर रेडियो को जिंदा कर दिया।

आज वल्र्ड रेडियो डे के मौके पर आइए जानते हैं रेडियो के बारे में कुछ खास बातें। शुरुआत में रेडियो को वायरलेस टेलिग्रफी कहा जाता था। इसी से इसका नाम वायरलेस पड़ गया।

रेडियो ट्रांसमिशन के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द ब्रॉडकास्टिंग असल में कृषि से जुड़ा हुआ था जिसका मतलब था बीज को बिखेरना। भारत में रेडियो ब्रॉडकास्ट की शुरुआत 1923 में हुई थी।

1930 में इंडियन ब्रॉडकास्ट कंपनी दिवालिया हो गई थी और उसे बेचना पड़ा। इसके बाद श्इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस को बनाया गया।अपने देश में पहला न्यूज बुलिटिन 19 जनवरी 1936 को ब्रॉडकास्ट किया गया था।

8 जून 1936 को इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस,ऑल इंडिया रेडियो बन गया। भारत में एफएम की शुरुआत 23 जुलाईए 1977 को चेन्नै ने हुई थी।

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