आज विश्व जल दिवस है। माना जा रहा है कि 2050 तक भारत में पानी की बेहद कमी हो जाएगी। ऐसा अनुमान है कि आने वाले दिनों में औसत वार्षिक पानी की उपलब्धता काफी कम होने वाली है। वहीं प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता का स्तर भी बेहद कम हो जाएगा। 
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एक रिपोर्ट के मुतबिक 2001 में 1,820 प्रति व्यक्ति क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति पानी था। जो घटकर 2011 में 1,545 रह गया। रिपोर्ट बताती है कि यह आने वाले सालों में इसका औसत और कम होता जाएगा। 2025 में यह 1,341 क्यूबिक मीटर रह जाएगा वहीं 2050 में यह घटकर सिर्फ 1,140 क्यूबिक मीटर हो जाएगा।
बता दें कि हाल ही में यूनेस्को ने भी एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भी कहा गया है कि 2050 तक भारी जल संकट पैदा हो जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि आगामी सालों में 40 फीसदी जल संसाधनों की कमी आ जाएगी, जिसके कारण देश में पानी की कमी हो जाएगी।
यूनेस्को की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर भारत में पहले से ही काफी जल संकट है। इस पर जल संसाधन विभाग के प्रमुख एसके सरकार ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में भूजल की बेहद कमी है। इन राज्यों में पानी की गंभीर स्थिति है। वहीं दक्षिण और मध्य भारत में 2050 तक नदियों में खराब जल की गुणवत्ता और बढ़ जाएगी।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) एनआईओ के निदेशक एसडब्ल्यूए नकवी ने कहा कि प्रदूषण की समस्या न केवल सतह जल संसाधनों में है बल्कि भूजल में भी है। उन्होंने कहा कि इस जल में धातु का प्रदूषित पदार्थ भी शामिल है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब जमीन में खराब पदार्थों की डंपिंग होती है। खुले में शौच और गड्ढों में मल नष्ट करने से जमीन में बैक्टीरिया शामिल होते हैं। इससे भूजल में और ज्यादा प्रदूषित होता है।
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