राज्य मानवाधिकार आयोग में एक साल बाद चेयरमैन की तैनाती की गई है। पूर्व चीफ जस्टिस इकबाल अहमद को आयोग का नया चेयरमैन बनाया गया है। वहीं, मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाया है।अभी अभी: यूपी विधानभवन की सुरक्षा के लिए सीएम योगी ने लिया बड़ा फैसला…
आप नेता सुखपाल सिंह खैहरा व अमन अरोड़ा ने जारी बयान में कहा है कि नए चेयरमैन की नियुक्ति में सरकार ने नियमों की अनदेखी की है। नेता प्रतिपक्ष की मंजूरी के बिना आयोग के चेयरमैन की तैनाती नहीं की जा सकती है। खैहरा ने कहा कि अगर सरकार ने अपना फैसला नहीं पलटा तो उनकी पार्टी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
आयोग के चेयरमैन का कार्यकाल बीते साल जुलाई में खत्म हुआ था। उसके बाद भी सरकार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया था। नतीजतन, करीब आठ माह तक चेयरमैन का पद खाली रहा था। इस दौरान आयोग के पास 13000 से ज्यादा केस पेंडिंग हो गए थे। करीब आठ माह बाद जस्टिस आशुतोष मोहंतो को कार्यकारी चेयरमैन तैनात किया गया था। उसके बाद आयोग ने अपना काम शुरू किया था। अब आयोग के तीन सदस्यों की बेंच पूरी हुई है।
इस समय नेता प्रतिपक्ष है ही नहीं
आयोग के उच्च आधिकारिक सूत्रों की मानें तो नए चेयरमैन की नियुक्ति गलत नहीं है, क्योंकि मौजूदा समय में नेता प्रतिपक्ष के पद पर कोई नहीं है। एडवोकेट एचएस फूलका इस्तीफा दे चुके हैं। चेयरमैन के चयन को लेकर संवैधानिक रूप से चार सदस्यीय कमेटी में मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, स्पीकर व नेता प्रतिपक्ष को शामिल किया गया है। इस समय नेता प्रतिपक्ष न होने से आप का विरोध दमदार नहीं है। इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन की तैनाती के मामले में भी ऐसे ही फैसला किया जा चुका है।